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हम कौन थे?क्या हो गए?और क्या होंगे अभी?...............

Written By Shalini kaushik on सोमवार, 9 मई 2011 | 10:22 pm


हम कौन थे?क्या हो गए?और क्या होंगे अभी?...............
आओ विचारें आज मिलकर ये समस्याएं सभी.
                 आज कुछ ब्लोग्स पर ''शिखा कौशिक जी''द्वारा प्रस्तुत आलेख ''ब्लोगर सम्मान परंपरा का ढकोसला बंद कीजिए''चर्चा में है और विभिन्न ब्लोगर में से कोई इससे सहमत है तो कोई असहमत.चलिए वो तो कोई बात नहीं क्योंकि ये तो कहा ही गया है कि जहाँ बुद्धिजीवी वर्ग होगा वहां तीन राय बनेंगी सहमति ,असहमति और अनिर्णय की किन्तु सबसे ज्यादा उल्लेखनीय टिप्पणियां ''दीपक मशाल जी ''की और ''डॉ.रूप चन्द्र शास्त्री जी ''की रही .एक और दीपक जी पुरुस्कृत सभी ब्लोगर्स का पक्ष लेते हैं जबकि शिखा जी द्वारा किसी भी ब्लोगर पर कोई आक्षेप किया ही नहीं गया है उनका आक्षेप केवल चयन प्रक्रिया पर है तो दूसरी और डॉ.रूप चन्द्र शास्त्री जी ''खट्टा मीठा तीखा पचाने की सलाह देते हैं भूल जातेहै कि ''जो डर गया वो मर गया'' की उक्ति आजकल के नए ब्लोगर्स के सर चढ़कर बोल रही है.दोनों में से कोई भी आलेख के मर्म तक नहीं पहुँचता जिसका साफ साफ कहना है कि पहले आप सम्मान दिए जाने के दिशा निर्देश तैयार कीजिये और जिस तरह अन्य पुरुस्कारों के आयोजन में होता है नामांकन चयन इत्यादि  प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही सम्मान के हक़दार का चयन कीजिये. अन्यथा जैसा कि सभी सम्मानों के आयोजन में विवाद पैदा हो जाते हैं वैसा ही यहाँ हो जाने में कोई देर नहीं है.
                साथ ही दीपक 'मशाल' जी ने तो हद ही कर दी उन्होंने तो शिखा जी को यहाँ तक कह दिया कि ''वे भी एक इनाम लिए बैठी हैं''उन्हें यह जानकारी तो होनी ही चाहिए कि शिखा जी ने ये पुरस्कार महाभारत-१ के नाम से आयोजित प्रतियोगिता में जीता है और इसमें क्रमवार ढंग से सभी कुछ किया गया था.पहले प्रतियोगिता का विषय घोषित किया गया फिर भाग लेने की तिथि निर्धारित की गयी उसके बाद क्रमवार अभ्यर्थियों के आलेख प्रकाशित किये गए और अंत में डॉ.श्याम गुप्त जी  और डॉ.अनवर जमाल जी को निर्णायक के रूप में निर्णय करने के लिए कहा गया अंत में उन आलेखों में से चयन किये जाने के बाद शिखा जी को विजेता घोषित किया गया.क्या ऐसी पारदर्शिता वे इन सम्मान समारोह में अपनाई गयी ,अपने तर्कों द्वारा साबित कर सकते हैं?जिन सम्मान समारोहों के पक्ष में वे खड़े हैं उनमे केवल अंतिम स्थिति दिखाई देती है और वह है ''विजेता घोषित करने की''उससे पहले चयन प्रक्रिया का कोई नामो-निशान नहीं है.और रही पुरुस्कार पाने वाले ब्लोगर्स के लेखन आलेखन क्षमता की तो वह देखना निर्णायक मंडल का काम है हमारा नहीं.
                           आज यदि हम देखते हैं तो हमें इस बात पर गर्व होता है कि हम ब्लॉग जगत से जुड़े हैं उस ब्लॉग जगत से जो देश की समस्याओं को उठाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है और दे भी रहा है.ऐसे में यदि यहाँ कोई गलत बात सर उठाती है तो उसे कुचलने में हर जागरूक ब्लोगर को अपना योगदान देना चाहिए न कि लेखक की व्यक्तिगत महत्वकांक्षा पूरी न होने जैसी तुच्छ बात कह कर उसे हतोत्साहित करने का प्रयास किया जाना चाहिए.स्पष्ट तौर पर शिखा जी के आलेख का मर्म यही है कि ये सम्मान समारोह क्योंकि पूर्ण रूप से पारदर्शिता पर आधारित नहीं हैं इसलिए मात्र ढकोसला बन कर रह गए हैं ऐसे में इससे अच्छा यही है कि ''ब्लोगर मीट'' का आयोजन हो जहाँ हर कर्त्तव्य निष्ठ ब्लोगर को अन्य ब्लोगर का प्यार व् सराहना मिले कवि श्रेष्ठ ''दुष्यंत सिंह ''के शब्दों में मैंने उनके आलेख का यही मर्म समझा है-
   ''हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए,
   इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए.
   सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
    मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए.''
                                  शालिनी कौशिक 
              शिखा कौशिक जी का आलेख आप इस लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं-
              

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5 टिप्पणियाँ:

नीलांश ने कहा…

sarvprathamye post aur shikha ji ke dwara uthai gayi baat par main apna vaktavya rakhna chahunga...main bhi yahan sikhne aaya hoon

1. baccho ke blogs ko jo purushkaar diye gaye usme baccho ke hi baare me likha gaya ,wo bacche abhi apne chaatra jeevan ka shuruaat kar rahe hain....unke pratibha ko darshaana jaise painting ....acchi baat hai..isase unka baudhik vikas hota hai....maata pita samajhte hain apne bacchon ke man ki baaten ,we use rakhte hain apne madhyam se


2.hindi,urdu,english sabhi language ko maan mile..koi vivad na ho

नीलांश ने कहा…

3.rachnao ko maan mile ....bahut saare blogs kuch samay me hi maine dekhe hain,aur sabhi se mujhe accha sikhne ko milta hai,par wo aur accha karen,iske liye un par comment dena chahiye aur unhe unki galati se aur prabal paksh dono se avgat karana chahiye

4. mere anusaar sabse anushashit blogger ka bhi purushkaar ho jo sabse pahla purushkaar ho to yahan ek swasth parampara banegi ..samman karne ki....

5. pratiyogita ka aayojan hota rahe bhale purushkaaar mil;e ya na mile par ek samman rachna ko mil jaaye rachiyata ko bahut aatmsamman mil jaata hai usase

6.ek kanoon mandal bana dena chahiye bloggers ka jo dekhen ki tippaniyan aur rachna maryada kaa paalan kare.....vyaktigat roop se sabhi paalan karen ....

7.sakratmak soch rakhe aur banayen

नीलांश ने कहा…

8."charcha manch "ek acchi pahal hai aur wahan jo rachnaayen jaate hain wo sab acche hote hain,isliye wahan gaye rachna ke rachaiyta purushkaar paane ke sabse yogya bante hain ..kyonki wahan rachnaayen chunane ke liye bahut mehnat ki jaati hai...aur mera maanana hai ki mere saath nyay hua hai wahan...vandana ji,sangeeta ji ,mayank ji,satyam ji,manoj ji bahut accha kaam kar rahe hain.....

Shalini kaushik ने कहा…

nishant ji ,
aapke vichar bahut sarahniy hain aur main ye sochti hoon ki apke vicharon ko yadi mahtva mila to blog jagat me ek swasth pahal ho sakti hai.aabhar.

नीलांश ने कहा…

bahut aabhaar...good wishes

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