आप सभी सेकुलर लोगों से माफ़ी मांगते हुए सफाई देता हूँ की ये लेख धार्मिक नहीं है सामाजिक और देश से सम्बंधित है..कृपया पूरा पढ़ें के बाद ही किसी निष्कर्ष पर आयें..
एक बार भारतीय मुसलमान,इस्लाम और आतंकवाद.नाम का लेख लिखा था मैंने AIBA पर मगर सलीम भाई को शायद बुरा लगा..मैंने भी महसूस किया की शायद में गलत हूँ हिन्दुस्थान के लोग(????) बदल रहें हैं...इसलिए मैंने वो लेख हटा लिया..अनवर जमाल भाई ने मुझसे प्रश्न भी पूछ लिया था की किस आधार पर २% मुश्लिम बंधुओं को आप बाबर की औलाद कह रहें हैं आप ने कोई सर्वे कराया है क्या????जमाल भाई आप से अनुरोध हैं की कृपया निचे लिखे लेखों की सत्यता जाच लें और आप ही बता दें की मैं क्या गलत था????
हाँ गलत था बाबर की नहीं ओसामा की औलादे लिखने चाहिए इसको..और मुझे मालूम हैं न तो अनवर भाई जैसे विद्वान और न ही सलीम भाई जैसे विचारक इन लोगों का समर्थन करेंगे..आप के जबाब की प्रतिच्छा रहेगी..
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क्या कोई मुश्लिम बंधू बताएगा की वो ओसामा को अपनी जमात का और धर्म का मानते हैं???
क्या कोई मुश्लिम बंधू बताएगा की वो ओसामा को अपनी जमात का और धर्म का मानते हैं???
अगर नहीं तो ये क्या है??आशुतोष Source: भास्कर न्यूज |
श्रीनगर। हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन सईद अली शाह गिलानी के आह्वान पर कश्मीर
में लोगों ने शुक्रवार को ओसामा बिन लादेन की गैबाना नमाज-ए-जनाजा पढ़ी।
नमाज के बाद कुछ युवकों ने पुलिस पर पथराव भी किया।
जुमे की नमाज के बाद बटमालू क्षेत्र में गिलानी के नेतृत्व में नमाज-ए-जनाजा
पढ़ी गई। गिलानी ने कहा कि ओसामा के शव को समुंद्र में दफनाने से विश्व भर
के मुसलमानों की भावनाएं आहत हुई हैं।
पढ़ी गई। गिलानी ने कहा कि ओसामा के शव को समुंद्र में दफनाने से विश्व भर
के मुसलमानों की भावनाएं आहत हुई हैं।
गिलानी ने कहा कि ओसामा को इस तरह से दफनाए जाने के विरोध में ही
शव की गैर मौजूदगी में नमाज-ए-जनाजा पढ़ी गई। हुर्रियत नेता ने
पाकिस्तान की सलामती और शांति के लिए भी प्रार्थना की।
शव की गैर मौजूदगी में नमाज-ए-जनाजा पढ़ी गई। हुर्रियत नेता ने
पाकिस्तान की सलामती और शांति के लिए भी प्रार्थना की।
इस मौके पर गिलानी ने फिर दोहराया कि भारत तथा पाकिस्तान में शांति
तभी संभव है, जब कश्मीरियों को जनमत संग्रह का हक दिया जाए।
वहीं जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के श्रीनगर विंग में भी नमाजे-ए-जनाजा
पढ़े जाने का समाचार है।
पढ़े जाने का समाचार है।
डीआईजी ने बताया कि नमाज के बाद गिलानी के जाते ही कुछ युवाओं ने
पथराव किया। हालांकि इससे किसी के भी घायल होने का समाचार
नहीं है। मीर के अनुसार बांडीपोरा तथा बड़गाम में भी पथराव होने की जानकारी मिली है।
Source: thatshindi.oneindia.
दुनिया के सबसे बड़े आतंकी संगठन का सरगना और अमेरिका का दुश्मन नंबर एक
ओसामा बिन लादेन को मार दिया गया है। 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद से अमेरिका
ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा था। पूरी दुनिया में सबसे बड़ा आतंकी ओसामा बिन लादेन
आतंकवाद का पर्याय बन चुका था। जिसने जेहाद का नारा देकर पूरी दुनिया में दहशत का माहौल
पैदा किया। तो फिर अब ऐसा क्यों हो रहा है कि लादेन की मौत के बाद पुरी दुनिया में इसके समर्थन
को लेकर सभाएं की जा रही हैं। आपको सुनकर हैरत होगी कि भारत के बड़े मस्जिदों में
लादेन की आत्मा की शांति के लिये नमाज-ए-जनाजा अता की गई।
कोलकाता के टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम मौलाना नूरूर रहमान बरकती ने लादेन की
आत्मा की शांति के लिये विशेष नमाज अता की। इसमें देश्ा के कई राज्यों से आये ऑल
इंडिया अल्पसंख्यक फोरम के सदस्यों ने भाग लिया। चेन्नई में भी लादेन की आत्मा की शांति के
लिये नमाज अता करने की बात को लेकर वकालत की गई। उततर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में
तो अलग ही माजरा रहा। नमाज अता करने की तैयारी हो चुकी थी मगर उनके समुदाय के ही कुछ
लोगों ने ऐसा करने से मना कर दिया।
उनका कहना था कि ऐसा करने से कानून व्यवस्था में दिक्कत पैदा हो सकती है। हैदराबाद में भी
लादेन के लिये विशेष नमाज अदा की गई। मालूम हो कि लादेन की मौत ने भारत के कई इलाकों
में संप्रदायिक और रालनीतिक रूप ले लिया है। श्रीनगर में लादेन के समर्थन में नारेबाजी की गई और
उसे ‘शहीद’ करार दिया गया। एक अज्ञात नकाबपोश युवक ने कहा, ‘हम यहां पर ओसामा के लिए
प्रार्थना करने जमा हुए हैं। अमेरिका उसे आतंकवादी बता रहा है लेकिन वास्तव में वह एक
अच्छा आदमी था। वह आतंकवादी नहीं था। गौरतलब है कि इस पूरे मुद्दे को सबसे पहले
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह द्वारा हवा दी गई थी।
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