वीर अमर हे ! मातृ भूमि को
दुश्मन जो ललकारे
पल में धूल चटा दो उसको
फिर ना पलक उघारे
वीर अमर हे ! मातृ भूमि को ---
वैभवशाली देश हमारा
विश्व गगन पर छाया
भूखा गजनी गोरी आया
सब ने मुह की खाया
वीर अमर हे ! मातृ भूमि को ---
काया अपनी बहुत बड़ी
पृथ्वी सारा परिवार
मंगल चिंतन की कड़ी-झड़ी
माने सारा संसार
वीर अमर हे ! मातृ भूमि को ---
हरी भरी बगिया है अपनी
रंग विरंगे फूल
मन की माला एक यहाँ की
सपने में ना भूल !!
वीर अमर हे ! मातृ भूमि को ...
मेरा अंग न काटो भाई
दर्द हमें भी होता
आँख अगर जो लाल हो गयी
तो तांडव भी होता
वीर अमर हे ! मातृ भूमि को ...
न्यूट्रान- परमाणु- न शक्ति
कुछ –इतिहास- दिखा दो
बलिदानी जत्थों की भक्ति
पौरुष ,धैर्य गिना दो
वीर अमर हे ! मातृ भूमि को ...
भारत माँ हैं दुर्गा चंडी
रण - भेरी जब बाजे
खून गिरे ना-मुंड माल -ही
ब्रह्म भी सारा काँपे
वीर अमर हे ! मातृ भूमि को ...
पृथ्वी -अग्नि रंग विरंगा
वश में- सब- दिखला दो
गजनी -गोरी- अभी मिले तो
आसमान-में ही उनको
काट -काट- बिखरा दो !!
(photo with thanks from other source)
ध्यान रहे- वो -अंग कहीं
धरती- अपनी - ना -गिर जाएँ
उन्हें भेज दो- वापस -या -तो
‘काले पानी’ में ‘दफना’ दो !!
हुँकार करते घुस जाओ
बढ़कर चढ़कर विजय तिरंगा
छाती पर फहरा दो !!
वीर अमर हे ! मातृ भूमि को
दुश्मन जो ललकारे .......(photo with thanks from other source)
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
७.५.२०११
2 टिप्पणियाँ:
काट -काट- बिखरा दो !!
(photo with thanks from other source)
ध्यान रहे- वो -अंग कहीं
धरती- अपनी - ना -गिर जाएँ
उन्हें भेज दो- वापस -या -तो
‘काले पानी’ में ‘दफना’ दो !!
हुँकार करते घुस जाओ
बढ़कर चढ़कर विजय तिरंगा
बहुत अच्छी देश-भक्ति से भरी भावपूर्ण रचना /बधाई आपको /
मेरे ब्लॉग में भी आइये और मार्गदर्शन देते हुए सन्देश भेजिए .धन्यवाद /
vaah jnab vaah mzaa aa gyaa hmare dil ki baat likh dali jnaab ne bdhaai ho . akhtar khan akela kota rajsthan
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Thanks for your valuable comment.