ग़फलत
जाने कौन, कहाँ हूँ मैं ,
अब तलक भ्रमों में ही रहा हूँ मैं . - २
मतलब परस्त थी चाह उनकी ,
अपनों को गैर समझने लगा सनकी .
ग़फलत में था जिन्हें अपना जाना,
शिरकत में था उनकी ठुकराना .
जानता हुए भी बहाव का रुख ,
विपरीत दिशा में ही बहा हूँ मैं .
जाने कौन .........................................................................................
संगदिल के तंगदिल की ,
देखो तो जरा अदावत .
खुद बरपाया कहर इश्क पे ,
इलज़ाम नाचीज पे है बगावत .
कैसे क़ैद रखें अरमान "कायत" ,
जिस्म तो बंधुआ हो भी जाए .
साथ रहे तेरी वफाओं का सिला ,
जिंदगी चाहे खो भी जाए .
इक बार में भंगुर नहीं हुआ ,
पल-पल, छिन-छिन दहा हूँ मैं .
जाने कौन , कहाँ हूँ मैं - अब तलक भ्रमों में ही रहा हूँ मैं .
http://krishan-kayat.blogspot.com/
जाने कौन, कहाँ हूँ मैं ,
अब तलक भ्रमों में ही रहा हूँ मैं . - २
मतलब परस्त थी चाह उनकी ,
अपनों को गैर समझने लगा सनकी .
ग़फलत में था जिन्हें अपना जाना,
शिरकत में था उनकी ठुकराना .
जानता हुए भी बहाव का रुख ,
विपरीत दिशा में ही बहा हूँ मैं .
जाने कौन .........................................................................................
संगदिल के तंगदिल की ,
देखो तो जरा अदावत .
खुद बरपाया कहर इश्क पे ,
इलज़ाम नाचीज पे है बगावत .
कैसे क़ैद रखें अरमान "कायत" ,
जिस्म तो बंधुआ हो भी जाए .
साथ रहे तेरी वफाओं का सिला ,
जिंदगी चाहे खो भी जाए .
इक बार में भंगुर नहीं हुआ ,
पल-पल, छिन-छिन दहा हूँ मैं .
जाने कौन , कहाँ हूँ मैं - अब तलक भ्रमों में ही रहा हूँ मैं .
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