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भट्टा पारसौल कांड-माओवाद का एक और अध्याय या मध्यम वर्ग के लिए खतरे की घंटी..

Written By आशुतोष की कलम on मंगलवार, 17 मई 2011 | 10:28 pm

ग्रेटर नोयडा ,भट्टा पारसौल में मायावती सरकार के पुलिसिया गुंडों ने लगभग ८० किसानों को मारकर वहीँ जला दिया...गांव की सारी फसल जला दी गयी.महिलाएं शौच के लिए घर से बाहर नहीं निकल रही लगभग ११० महिलों के साथ पुलिसिया गुंडों ने बलात्कार किया...हाँ उत्तर प्रदेश सरकार के रिकॉर्ड में कोई लापता नहीं है और सिर्फ २ किसान मरे..
लगभग ५०० ग्रामीण लापता हैं...मीडिया चुप बैठा है...और खबर दिखाई भी तो जिन पे जुल्म हुआ उनका कवरेज कम और राहुल बाबा का ज्यादा...
आज भारत में जिस तरफ देखें जमींन की लूट चल रही है...कुछ परदे के पीछे ,कुछ लालच से,कुछ मायावती सरकार की तानाशाही के रास्ते पर चलकर हत्याएं करवाकर.. विकास की चकाचौध और अर्थव्यवस्था का गणित समझकर हमारी माननीय केंद्र सरकार भी एक के बाद एक परियोजनाओं को हरी झंडी दिखा रही है और अब किसी से छिपा नहीं है की इन सबकी दलाली भी ये नेता और कार्पोरेट खा रहें हैं...किसान से जमीन ली जाती है १ लाख रूपये या उससे कम के मुआवजे पर और बेचीं जाती है २ करोण रूपये एकड़ बिल्डरों को..अब तो मुझे लगता है हमे अरब खरब नील या मिलियन ट्रिलियन से आगे जा कर कोई नयी इकाई बनानी पड़ेगी सरकारों की इस दलाली की गाड़ना के लिए ..
अगर नोएडा की बात करे तो नोएडा रूपी राक्षस बढ़ता ही जा रहा है..कभी फेज -२,कभी नोएडा एक्सटेंसन तो कभी ग्रेटर नोएडा तो कभी ग्रेटर नोएडा एक्सटेंसन...किसनो की खेती की जमीन का अधिग्रहण औने पौने दामों पर करके सरकारें सद्दाम हुसैन और हुस्नी मुबारक की तरह अपना घर भर रही हैं..काहिरा और इराज के लोग सौभाग्यशाली थे की एक ही मुबारक या एक ही सद्दाम था ..भारत की विडंबना ये है की यहाँ तो सददामों और हुश्नियों की पूरी फ़ौज ही है..मायावती ,राहुल गाँधी ,शरद पवार,अमर सिंह,कर्णाटक के रेड्डी ऐसे कुछ गिद्धों के नाम हैं जो इस देश को नोच नोच कर खा रहें हैं और हम अपने वातानुकूलित घरों में बैठे जश्न मना रहे हैं..भले ही ८० करोड़ लोगो को रोटी नहीं मिले २ जून की, नोएडा से आगरा तक दिल्ली-आगरा एक्सप्रेस वे बनेगा वो भी किसानों की लाश पर उनकी घरों की महिलाओं की इज्जत की कीमत पर..कारण सिर्फ इतना है की सरकार को तो बिल्डर और दलाल चलातें हैं..अब ये जमीन जो अधिग्रहित की जा रही है हजारगुना जयादा दाम पर बिल्डरों को बेचीं जाती है..उसमें भी दलाली खाते है हमारे जनसेवक और नेता जी लोग..उसके बाद इन दलाली के पैसों को रियल इस्टेट में इन्ही बिल्डरों के यहाँ लगा देते हैं इस देश के कर्णधार बिल्डर से फ्लैट खरीदने वाला भी आम आदमी, जो पुरे जीवन किश्त भरता है और वो दलाली की कमाई अब तक १० गुना बढ़ चुकी होती है...वो भी बिलकुल सफ़ेद धन...
पिछले कुछ सालों में इस आर्थिक चकाचौंध की दौर में बिल्डरों और दलालों की एक पूरी व्यवस्था भी बन गयी है जो प्रकारांतर से सरकारी और पुलिसिया सहयोग से निरीह ग्रामीणों का सुनियोजित दमन कर रहा है और चुकी ये खबर समाज के सबसे कमजोर तबके से है इसलिए बहुत आसनी से इसे दबा दिया जाता है..इस कार्य में सभी पार्टिया सामान रूप से भागीदारी कर रही हैं...अगर यही खरोंच किसी युवराज की गाड़ी पर आई होती तो हम आप और मीडिया शुरू कर देता चिल्ल पों मचाना ..मगर जो मरा,जो जलाया गया वो किसान है..क्या हुआ जो हम उसकी मेहनत का पैदा किया हुआ अन्न ठूस ठूस कर कहते हैं हम सब तो अब नमकहराम होते जा रहे हैं..मरने दो उसे..होने दो उसकी बेटियों का बलात्कार किसान होता ही है इसलिए...
अब न तो उन किसानों के लिए कोई जंतर मंतर पर धरना होगा न ही ब्लॉग लिखा जाएगा न ही कोई कैंडिल मार्च होगा..क्यूकी आज की व्यवस्था और परिवेश में हमारी सोच है की "IT HARDLY MATTERS TO US "
अब मेरी उम्र का किसी किसान का लड़का हाथ में बन्दूक उठा ले तो उसे माओवादी कहा जाएगा..क्या करेगा वो..बाप की लाश भी नहीं छोड़ी इस सरकार ने ..माँ और बहन का सामूहिक बलात्कार पुलिसिया गिद्धों ने उसके सामने किया फिर भी हम कहेंगे की अहिंसा परमो धर्मः....किसान किसी को मारे तो वो मुख्य समाचार बन जाता है और ८० किसानों को जला दिया गया उसकी चर्चा भी नहीं..ये SEZ बना कर दलाली खाने का जो खेल सरकार ने शुरू किया है वो कई नंदीग्राम और सिंगूर पैदा करने वाला है...क्यूकी व्यवस्था से असहाय व्यक्ति के पास शस्त्र उठाने के अलावा कोई चारा नहीं रहता है...
आज जो भी व्यक्ति ये ब्लाग या ईमेल पढ़ रहा होगा उसे शायद कोई लेना देना नहीं होगा इस किसानो से मगर बंधू उन किसानो के बाद आप का ही नम्बर है क्यूकी उसके बाद सबसे कमजोर आप हैं..
जरा परिकल्पना करें की आप के घर में १०-१२ सरकार समर्थित पुलिस वाले गुंडे आते हैं..आप को गोली मार देते हैं और बेटी का सामूहिक बलात्कार ,बेटे को जेल और पत्नी को नंगा करके सड़क पे परेड करते हैं ..अभी तो ये एक भयावह कल्पना लग रही है मगर समाज के सबसे आखिरी तबके के साथ ये शुरू हो चूका है अगला नंबर आप का है....
में ज्यादा कुछ तो नहीं कहूँगा मगर इतना जरुर कहूँगा की विरोध की आदत डाले अपने स्वार्थ से थोडा ऊपर उठकर ..शायद वो विरोध बौधिक मानसिक या सामाजिक किसी भी स्तर पर हो...हम देश नहीं बदल सकते इस भावना से ऊपर आयें..वरना इस देश में आप और हम ही नहीं रहेंगे...देश के लिए नहीं अपने लिए विरोध करें अपने बच्चों के लिए विरोध करें...संचार क्रांति आप के साथ है क्यूकी आप गांव के किसान नहीं है ..ईमेल ,ब्लॉग,ट्विटर फेसबुक,मेसेज या कोई और साधन से..अपनी भावना व्यक्त करना शुरू करें ..नियति समझकर भूले नहीं...वरना वो दिन दूर नहीं जब भारत में सोमालिया जैसे हालत पैदा हो जाएँगे...
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2 टिप्पणियाँ:

prerna argal ने कहा…

padhker.rongate khade ho gaye ki hamaare desh maiaisa bhi ho raha hai phir angrejon ke raaj aur is raaj main kya anter hai tab to dusare log atyaachaar karate the ab hamare log hi atyaachaar karane lage.phir kyon logon ne jaan di desh ko aajad karane main ab apno ki gulaami se kon aajad karayegaa.bahut dhanyawaad aapka itani achchi jaankaari dene ke liye,

Unknown ने कहा…

sahi baat hai agar aj bhi is tarike ki ghtna ko dekh ker log andekha ker de to vo din dur nai jab ye desh fir se gulam ho jayga hammare bhritye logo ko ghuse khane ki gandi aadat padh gai hai lakin ek na ek din aise logo ke sath jb aisa hi bhv kiya jaega to inhe pata chalega ki kisi aam aadmi ki kimat or uske ghar ki bahu betio ki izzat kya hoti hai,jb aise logo ke gharo ki izat uchali jaygi.

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