Written By डॉ. दिलबागसिंह विर्क on सोमवार, 9 मई 2011 | 12:45 pm
बच्चे कागज़ बीनते , भूखे औ' लाचार
मांग रहे हैं आज भी , रोटी का अधिकार . रोटी का अधिकार , ना दिला पाया कोई पढने की यह उम्र , यहाँ गलियों में खोई . देश के कर्णधार , करें हैं दावे कच्चे रोटी से हैं दूर , गरीब मासूम बच्चे .
3 टिप्पणियाँ:
बेबाक रचना..................
कड़वा सच.....
कटु सत्य्।
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