जब जब मै स्कूल चली
तोते सा फिर माँ ने मुझको
रोज सिखाया – रोज पढाया
क्षुद्र जीव हैं इस समाज में
भोली सूरति उनकी
प्यार से कोई पुचकारेंगे
कोई लालच देंगे तुझको
कोई चन्दन कही लगाये
तिलक लगाये भी होंगे
बूढ़ा या फिर जवां कही !
आँखें देख सजग हो जाना
भाषा दृग की समझ अभी !!
मतलब से बस मतलब रखना
अगर जरुरी कुछ – बस कहना !
मौन भला- गूंगी ही रहना !!
बेटी – देखा- ही ना होता !
मन में- काला तम -भी होता !!
“नाग” सा जो “कुंडली” लपेटे
“डंस” जाने को आतुर होता !!
तोते सा फिर माँ ने मुझको
रोज सिखाया – रोज पढाया
क्षुद्र जीव हैं इस समाज में
भोली सूरति उनकी
प्यार से कोई पुचकारेंगे
कोई लालच देंगे तुझको
कोई चन्दन कही लगाये
तिलक लगाये भी होंगे
बूढ़ा या फिर जवां कही !
आँखें देख सजग हो जाना
भाषा दृग की समझ अभी !!
मतलब से बस मतलब रखना
अगर जरुरी कुछ – बस कहना !
मौन भला- गूंगी ही रहना !!
बेटी – देखा- ही ना होता !
मन में- काला तम -भी होता !!
“नाग” सा जो “कुंडली” लपेटे
“डंस” जाने को आतुर होता !!
ये सब गढ़ी पुरानी बातें
इस युग में मुझको थी लगती
टूट चुकी हूँ उस दिन से मै
माँ के अपने चरण में गिरती !!
इस युग में मुझको थी लगती
टूट चुकी हूँ उस दिन से मै
माँ के अपने चरण में गिरती !!
अंकल-दोस्त – बनाती सब को
मेरी सहेली एक विचरती
सदा फूल सी खिलती घूमी
सब से उसने प्यार किया
शाम सवेरे बिन डर भय के
आँखों को दो चार किया !!
मेरी सहेली एक विचरती
सदा फूल सी खिलती घूमी
सब से उसने प्यार किया
शाम सवेरे बिन डर भय के
आँखों को दो चार किया !!
प्रेम – प्रेम -में अंतर कितना
घृणा कहाँ से आती !
माँ की अपनी बातें उसको
मै रहती समझाती !!
घृणा कहाँ से आती !
माँ की अपनी बातें उसको
मै रहती समझाती !!
खिल्ली मेरी उड़ाती रहती
जरा नहीं चिंतन करती
उस दिन गयी प्रशिक्षण को जब
शाम थी फिर गहराई
माँ बाबा मछली सा तडपे
नैन से सारा आंसू सूखा
बात समझ न आई !!
जरा नहीं चिंतन करती
उस दिन गयी प्रशिक्षण को जब
शाम थी फिर गहराई
माँ बाबा मछली सा तडपे
नैन से सारा आंसू सूखा
बात समझ न आई !!
कुछ अपनों को गृह में ला के
रोते घूमे सारी रात !
ना रिश्ते में ना नाते में
खोज खोज वे गए थे हार !!
काला मुह अपना ना होए
कुछ भी समझ न आये !
कभी होश में बकते जाते
बेहोशी भी छाये !!
रोते घूमे सारी रात !
ना रिश्ते में ना नाते में
खोज खोज वे गए थे हार !!
काला मुह अपना ना होए
कुछ भी समझ न आये !
कभी होश में बकते जाते
बेहोशी भी छाये !!
दिन निकला फिर बात खुल गयी
पुलिस- लोग -सब -आये
ढूंढ ढूंढ फिर “नग्न” खेत में
क्षत – विक्षत -बेटी को पाए
खून बहा था गला कसा था
(फोटो साभार गूगल से )
आँखें शर्मसार हो जाएँ !
“कुत्तों” ने था छोड़ा उसको
“कुत्ते” पास में कुछ थे आये !!
पुलिस- लोग -सब -आये
ढूंढ ढूंढ फिर “नग्न” खेत में
क्षत – विक्षत -बेटी को पाए
खून बहा था गला कसा था
(फोटो साभार गूगल से )
आँखें शर्मसार हो जाएँ !
“कुत्तों” ने था छोड़ा उसको
“कुत्ते” पास में कुछ थे आये !!
(फोटो साभार गूगल/नेट से )
पल में चूर सपन थे सारे !
पढना लिखना उड़ना जग में
चिड़ियों सा वो मुक्त घूमना
लिए कटोरी दूध बताशा
माँ दौड़ी दौड़ी थक जाये !!
पढना लिखना उड़ना जग में
चिड़ियों सा वो मुक्त घूमना
लिए कटोरी दूध बताशा
माँ दौड़ी दौड़ी थक जाये !!
बचपन दृश्य घूम जाता सब
लक्ष्मी –दुर्गा- चंडी -झूंठे
आँखे फटी फटी पत्थर सी
पत्थर की मूरति झूंठलाये !!
लक्ष्मी –दुर्गा- चंडी -झूंठे
आँखे फटी फटी पत्थर सी
पत्थर की मूरति झूंठलाये !!
कितने पापी लोग धरा पर
जाने क्यों जग जनम लिए
मर जाते वे पैदा होते
माँ उनकी तब ही रो लेती
रोती आज भी होगी वो तो
क्या उनसे सुख पाए ???
जाने क्यों जग जनम लिए
मर जाते वे पैदा होते
माँ उनकी तब ही रो लेती
रोती आज भी होगी वो तो
क्या उनसे सुख पाए ???
उसका भी काला मुँह होगा
जो बेटा वो अधम नीच सा
बलात्कार में पकड़ा जाए !
दोनों माँ ही रोती घूमें
रीति समझ ना आये !!
जो बेटा वो अधम नीच सा
बलात्कार में पकड़ा जाए !
दोनों माँ ही रोती घूमें
रीति समझ ना आये !!
पकड़ो इनको बाँधो इनको
कोर्ट कचहरी मत भेजो
मुह इनका काला करके सब
मारो पत्थर- गधे चढ़ाये -
जूता चप्पल हार पिन्हाये
मूड मुड़ाये – नोच नोच
कुछ “उस” बच्ची सा लहू निकालो !
लौट के फिर भाई मेरे सब
इनकी नाक वहीँ रगडा दो !!
आधा इनको गाड़ वहीँ पर
उन कुत्तो को वहीँ बुला लो
वे थोडा फिर रक्त चाट लें
इस का रक्त भी इसे पिला दो !!
कोर्ट कचहरी मत भेजो
मुह इनका काला करके सब
मारो पत्थर- गधे चढ़ाये -
जूता चप्पल हार पिन्हाये
मूड मुड़ाये – नोच नोच
कुछ “उस” बच्ची सा लहू निकालो !
लौट के फिर भाई मेरे सब
इनकी नाक वहीँ रगडा दो !!
आधा इनको गाड़ वहीँ पर
उन कुत्तो को वहीँ बुला लो
वे थोडा फिर रक्त चाट लें
इस का रक्त भी इसे पिला दो !!
क्या क्या सपने देख गया मै
दिवा स्वप्न सब सारे
पागल बौराया जालिम मै
ऐसी बातें मत सोचो तुम
जिन्दा जो रहना है तुम को !
दफ़न करो ना कब्र उघारो !!
दिवा स्वप्न सब सारे
पागल बौराया जालिम मै
ऐसी बातें मत सोचो तुम
जिन्दा जो रहना है तुम को !
दफ़न करो ना कब्र उघारो !!
वही कहानी लिखा पढ़ी फिर
पञ्च बुलाये कफ़न डाल दो
गंगा जमुना ले चल कर फिर
उनको अपनी रीति दिखा दो !!
पञ्च बुलाये कफ़न डाल दो
गंगा जमुना ले चल कर फिर
उनको अपनी रीति दिखा दो !!
हिम्मत हो तो कोर्ट कचहरी
अपना मुह काला करवाओ
दौड़ दौड़ जब थक जाओ तो
क्षमा मांग फिर हाथ मिलाओ !!
नहीं तंत्र सब घेरे तुझको
खाना भी ना खाने देगा !
जीना तो है दूर रे भाई
मरने भी ना तुझको देगा !!
अपना मुह काला करवाओ
दौड़ दौड़ जब थक जाओ तो
क्षमा मांग फिर हाथ मिलाओ !!
नहीं तंत्र सब घेरे तुझको
खाना भी ना खाने देगा !
जीना तो है दूर रे भाई
मरने भी ना तुझको देगा !!
कर बलात जो जाये कुछ भी
बलात्कार कहलाये ???
वे मूरख है या पागल हैं
नाली के कीड़े हैं क्या वे ?
मैला ही बस उनको भाए !
नीच अधम या कुत्ते ही हैं
बोटी नोच नोच खुश होयें !!
इनके प्रति भी मानवता
का जो सन्देश पढाये
रहें लचीले ढीले ढाले
कुर्सी पकडे -धर्म गुरु या
अपने कोई -उनको -अब बुलवाओ
वे भी देखें इनका चेहरा
उडती चिड़िया कटा हुआ पर
बलात्कार कहलाये ???
वे मूरख है या पागल हैं
नाली के कीड़े हैं क्या वे ?
मैला ही बस उनको भाए !
नीच अधम या कुत्ते ही हैं
बोटी नोच नोच खुश होयें !!
इनके प्रति भी मानवता
का जो सन्देश पढाये
रहें लचीले ढीले ढाले
कुर्सी पकडे -धर्म गुरु या
अपने कोई -उनको -अब बुलवाओ
वे भी देखें इनका चेहरा
उडती चिड़िया कटा हुआ पर
रक्त बहा वो -चीख यहाँ की
तब गूंगे हो जाएँ !!!
तब गूंगे हो जाएँ !!!
शुक्ल भ्रमर ५
२३.०५.२०११ जल पी बी
२३.०५.२०११ जल पी बी
4 टिप्पणियाँ:
bhaut hi dardmai,yathart batati hui. samaj ki sachaai ko ujaager karati hui bemisaal rachanaa.dil ko choo gai .hamaare samaaj ki ye hi vidambanaa hai.
please visit my blog and leave the comments also.thanks
आदरणीया प्रेरणा अर्गल जी -नमस्कार बहुत ही सुन्दर प्रतिक्रिया आप की -सच ये बहुत ही कडवा सच है ये एक अभिशाप है हमारे पतन का कारण है आज महिलाएं भय मुक्त हो विचरण नहीं कर सकती हैं मन में हमेशा ही खौफ समाया रहता है शाम को कौन कहे दिन में भी -
रचना आप को इस दर्द को चित्रित करती लगी लिखना सार्थक रहा आओ सब मिल सजग हो इन को नाकामयाब कर दण्डित करें -
शुक्ल भ्रमर ५
bahut he acchi avam meaning full post aise apradhiyoun ko to aise saja milni chaiye ki koi dusra esa kukaram karne se phele das bar soche ....very well sad keep writting...
पल्लवी जी नमस्कार -
बहुत ही सुन्दर प्रतिक्रिया करारा तमाचा इन कुकृत्य करने वालों के गाल पर -काश हमारी देश की -सभी बालिकाएं- महिलाएं आप की ही तरह जोश से भर के इस तरह की घंटी घनघना दे -और हमारे भाई लोग इस में शामिल हों वहीँ उन्हें धूल चटा दें -
बहुत बहुत आभार आप का शुक्ल भ्रमर ५
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Thanks for your valuable comment.