दोस्तों एक नज्म की कुछ पंक्तियाँ आपकी नजर करता हूँ ...
रात भर कोई मुझे.. याद आता आता रह गया
नज़्म थी या थी गजल मैं गुनगुनाता रह गया
कल ढूंढते थे वो मुझे शिद्दत से कूच-ए-यार में
मैं रकीबों की गली मैं बस आता जाता रह गया
बेसबब ही पूछ बैठा मैं भी उससे यारों का पता
जाने क्यों गुस्सा हुआवो तिलमिलाता रह गया
आज फिर बाजार मैं ...,.लुटती रही वो आबरू
और मैं कमजर्फ खुदसे ,छिपछिपाता रह गया
जाने कितनी बार उससे., हालेदिल पूछा मगर
दर्द आँखों मैं छुपा कर..... मुस्कुराता रह गया
वो तो दरिया था बहा भी तो,, समन्दर हो गया
खुदमें सिमटा झीलसा मैं झिलमिलाता रह गया
रौनक-ए-महफ़िल थी तेरी रौशनी हर सिम्त थी
बस मेरी ही गली में अँधेरा ,सरसराता रह गया
रात भर कोई मुझे.. याद आता आता रह गया
नज़्म थी या थी गजल मैं गुनगुनाता रह गया
कल ढूंढते थे वो मुझे शिद्दत से कूच-ए-यार में
मैं रकीबों की गली मैं बस आता जाता रह गया
बेसबब ही पूछ बैठा मैं भी उससे यारों का पता
जाने क्यों गुस्सा हुआवो तिलमिलाता रह गया
आज फिर बाजार मैं ...,.लुटती रही वो आबरू
और मैं कमजर्फ खुदसे ,छिपछिपाता रह गया
जाने कितनी बार उससे., हालेदिल पूछा मगर
दर्द आँखों मैं छुपा कर..... मुस्कुराता रह गया
वो तो दरिया था बहा भी तो,, समन्दर हो गया
खुदमें सिमटा झीलसा मैं झिलमिलाता रह गया
रौनक-ए-महफ़िल थी तेरी रौशनी हर सिम्त थी
बस मेरी ही गली में अँधेरा ,सरसराता रह गया
5 टिप्पणियाँ:
वाह उस्ताद वह.....उत्तम संरचना
जाने कितनी बार उससे., हालेदिल पूछा मगर
दर्द आँखों मैं छुपा कर..... मुस्कुराता रह गया
वो तो दरिया था बहा भी तो,, समन्दर हो गया
खुदमें सिमटा झीलसा मैं झिलमिलाता रह गया
bahut pyaari aur uttkrisht rachna hai aapki..
good wishes
गज़ब के शेर्…………पूरी गज़ल दिल को छू गयी
बेसबब ही पूछ बैठा मैं भी उससे यारों का पता
जाने क्यों गुस्सा हुआवो तिलमिलाता रह गया
जाने कितनी बार उससे., हालेदिल पूछा मगर
दर्द आँखों में छुपा कर..... मुस्कुराता रह गया
हर शेर दिल को छू जाने वाला है..."
जाने कितनी बार उससे., हालेदिल पूछा मगर
दर्द आँखों मैं छुपा कर..... मुस्कुराता रह गया
वो तो दरिया था बहा भी तो,, समन्दर हो गया
खुदमें सिमटा झीलसा मैं झिलमिलाता रह गया bahut hi bhavbheeni,dil ko chunewaali rachanaa.badhaai aapko.
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Thanks for your valuable comment.