Amitabh Meditation Mudra |
यह मुद्रा ध्यान की बनी हुई स्थिति को और स्थायित्व प्रदान करने के लिए है | जब ध्यान में उर्जा का संचार होने लगता है | तो उस संचार में किसी प्रकार की कोई बाधा न आये और वह संचार लगातार होता रहे, उसके लिए यह मुद्रा होती है | जिससे ध्यान करने वाला और अधिक देर तक बैठा रहता है ध्यान में | और इस मुद्रा में बैठने के कारण उर्जा को पूरे शारीर में संचारित होने में सहायता मिलती है जिससे ध्यान करनेवाला अपने आपको बहुत हल्का और उर्जा से भरपूर पाता है | इस मुद्रा में बैठने के कारण धीरे-धीरे उसको शरीर का भारीपन समाप्त हो जाता है | और वह बिना किसी दर्द के काफी देर तक ध्यान में बैठ सकता है | जब भी कोई ध्यान में बैठता है तो उसे पहले घुटनों में दर्द होता है | और उसे लगता है की वह तो यूँ ही फालतू बैठा है | किन्तु यह मुद्रा उसका दर्द और उसकी बोरियत समाप्त कर देती है | अतः जिसको भी ध्यान में अधिक समय तक बैठना है उसके लिए यह मुद्रा है | वैसे और भी मुद्राएं है ध्यान में बैठने के लिए किन्तु इस मुद्रा को अमिट आभा नाम से जाना जाता है | और यह मुद्रा बोद्ध धर्म के वज्रयान में इसी नाम से जानी जाती है | आमिट आभा यानी मिट न सके ऐसी आभा | और ध्यान में आभा के लिए ही बैठा जाता है कि जो भोजन हमने किया है उस भोजन को कैसे ओज में आभा में बदला जाए यह काम ध्यान में किया जाता है | नहीं तो वह उर्जा शरीर से बाहर किसी भी रूप में जा सकती है | अतः उस उर्जा को आभा जो मिट न सके ऐसी आभा में परिवर्तित करने के लिए यह ध्यान मुद्रा है | यह मुद्रा बड़े-बड़े ध्यानियों ने ध्यान करने के लिए उपयोग में ली है |
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2 टिप्पणियाँ:
geyan ki bate
bahut sundar
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
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Accha gyan diya .. Abhar
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