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नदी की धारा मत मोड़ो हे ! ये सैलाब न ले डूबे

Written By Surendra shukla" Bhramar"5 on रविवार, 28 अगस्त 2011 | 7:37 am


नदी की धारा मत मोड़ो हे !
ये सैलाब न ले डूबे
बहुत तेज धारा है इसकी
नहीं संभलने वाली
हैं गरीब भूखे किश्ती में
करो नहीं मनमानी !!
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अरे भागीरथ के गुण गाओ
जिसने इसे उतारा
बड़ी पुन्य पावन ये धारा
सदियों से है तारा
श्वेत हंस सी -माँ-शारद सी
ईमाँ-धर्म ये न्यारा
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धारा ! -जाति धर्म न बाँटो
सूप सुभाय ले छांटो
अच्छा गुण – जो काम में आये
जन हित का हो हर मन भाये
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तेरी कश्ती मेरी कश्ती
कल के युवा जवान की कश्ती
सेना और किसान की कश्ती
भारत के हर-जन की कश्ती
डूब न जाएँ -कुटिल चाल से तेरी
नहीं बजा रन-भेरी
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माना तू है बड़ा खिलाडी
और बड़ा तैराक !
इनमे कितने गांधी -शास्त्री
भगत सिंह-आजाद !!
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जिनकी एक जुबान हिलने से
क्रूर भंवर रुक जाए
कदम ताल गर चलें मिलाये
ये धरती थर्राए !!
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इससे पहले घेर तुझे लें
सौ -सौ छोटे नाविक
अरे जगा ले मृतक -ह्रदय को
हमराही हो -संग-मुसाफिर !!
———————————-
क्या जमीर हे मारा तुम्हारा
देश -भेष कुछ नहीं विचारा
उस दधीचि की हड्डी से हे !
थोडा नजर मिलाओ
वज्र से जो तुम ना टूटे तो
मोड़ो धारा -या बह जाओ !!
———————————
सभी मित्रो को बधाई और हार्दिक शुभ कामनाये ..अपना सब का साथ हमेशा यों ही बना रहे ......

शुक्ल भ्रमर ५
जल पी बी २६.८.२०११
११.५० मध्याह्न
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1 टिप्पणियाँ:

prerna argal ने कहा…

क्या जमीर हे मारा तुम्हारा
देश -भेष कुछ नहीं विचारा
उस दधीचि की हड्डी से हे !
थोडा नजर मिलाओ
वज्र से जो तुम ना टूटे तो
मोड़ो धारा -या बह जाओ !!
जनतंत्र की जीत से जनता ने अपनी शक्ति पहचानी है /अन्नाजी ने इस शक्ति को जगाया है /बस ऐसे ही अन्याय के खिलाफ सब एकता बनाकर एकजुट हो जाएँ तो इस देश का सुधार होने मैं कोई देर ना लगे /बहुत सुंदर अभिब्यक्ति /इतनी अच्छी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आपको /


please visit my blog.thanks.
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