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इक पेड़ की हँसी

Written By नीरज द्विवेदी on शुक्रवार, 26 अगस्त 2011 | 10:55 pm





छोटी सी चोट पर हीलोग रोया करते हैं बहुत यूँ ही,
दूसरे का हक मरकर भीखुश रहा करते हैं बहुत यूँ ही,
हमसबकोअपना सब कुछदेने से ही नहीं अघाते,
लोगों से जख्म पाने पर भीहँसा करते हैं बहुत यूँ ही॥

चोट हो बच्चों के पत्थर की फल के लिएतब तो हम,
उनकी आँखों में ख़ुशी देखकरहँसा करते हैं बहुत यूँ ही,
गर हो जख्म लालची मनुष्य... इक पेड़ की हँसी (Complete)


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