छोटी सी चोट पर ही, लोग रोया करते हैं बहुत यूँ ही,
दूसरे का हक मरकर भी, खुश रहा करते हैं बहुत यूँ ही,
हम, सबको, अपना सब कुछ, देने से ही नहीं अघाते,
लोगों से जख्म पाने पर भी, हँसा करते हैं बहुत यूँ ही॥
चोट हो बच्चों के पत्थर की फल के लिए, तब तो हम,
उनकी आँखों में ख़ुशी देखकर, हँसा करते हैं बहुत यूँ ही,
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your valuable comment.