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एक लघुदीप की लौ

Written By नीरज द्विवेदी on बुधवार, 31 अगस्त 2011 | 10:20 pm





इक खामोश अँधेरी रात की, इक रोशनी कहती है,
ये जो चमक है, उस लघुदीप की कहानी कहती है,
जिसकी लौ में जिजीविषा की, छोटी झलक दिखती है,
और इस अथाह अँधेरे से, लड़ने की कोशिश दिखती है॥

ये रात से जंग जीत लेने की, ख्वाइश दिखती है,
मजलूम की ईश्वर से की गयी, फरमाइश लगती है,
इस कालिमा में भले ही, बस ... एक लघुदीप की लौ (Complete)

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