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२६ अगस्त के आन्दोलन का एक और अनदेखा बलिदान

Written By नीरज द्विवेदी on बुधवार, 31 अगस्त 2011 | 10:30 pm



मौत से पहले दिनेश ने पूछा था, ”टीम अन्ना का कोई क्यों नहीं आया?”
अब आप जानना चाहेंगे की कौन दिनेश?
हम बात कर रहे हैं अन्ना हजारे जी के सशक्त लोकपाल के समर्थन में आत्मदाह करने वाला दिनेश.

दिनेश यादव का शव जब बिहार में उसके पैतृक गांव पहुंचा तो हजारों की भीड़ ने उसका स्वागत किया और उसकी मौत को बेकार नहीं जाने देने’ का प्रण किया। लेकिन टीम अन्ना की बेरुखी कइयों के मन में सवालिया निशान छोड़ गई। सवाल था कि क्या उसकी जान यूं ही चली गई या उसके बलिदान’ को किसी ने कोई महत्व भी दिया?

गौरतलब है कि सशक्त लोकपाल पर अन्ना हजारे के समर्थन में पिछले सप्ताह आत्मदाह करने वाले दिनेश यादव की सोमवार को मौत हो गई थी। पुलिस के मुताबिक यादव ने सुबह ... २६ अगस्त के... (Complete)

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4 टिप्पणियाँ:

Shalini kaushik ने कहा…

niyati aaj ki aur vastvikta bhi.

Swarajya karun ने कहा…

भाई दिनेश ! तुमने इस बेरहम व्यवस्था के आगे इतनी ज़ल्दी हार क्यों मान ली ? क्या आत्म-दाह से इस देश में भ्रष्टाचार का दहन हो जाएगा . पथरीले ह्रदय वालों की बात अलग है, तुम्हारी भावुकता हर संवेदनशील व्यक्ति को झकझोरती है. एक दिन दुनिया से तो हम सबको चले जाना है,पर इस तरह ज़ल्दबाजी में नहीं . तुम्हें हिम्मत और हौसले के साथ लगातार कायम रहना था इस लड़ाई में . तुमसे बिछुड़ने का हम सबको बहुत दुःख है , लेकिन यह तो बताओ , तुम्हारे इस तरह अचानक रूठ कर हमेशा के लिए दुनिया छोड़ देने से सिवाय दुःख के, किसे क्या मिला ?

नीरज द्विवेदी ने कहा…

बहुत सही और सार्थक बात कही है आपने, दिनेश जी से बिछुड़ने का हम सबको बहुत दुःख है. वो भावनाएं में बह गए. पर अन्ना और उनकी टीम से हमें ऐसी आशा नहीं थी जिन्होंने न केवल दिनेश जी को उनका सम्मान नहीं दिया बल्कि उनके साथ ही अनशन करते हुए शहीद हुए हमारे एक भाई अरुण दास जी को भी सम्मान देने की जरुरत नहीं समझी.

अंकित कुमार पाण्डेय ने कहा…

टीम अन्ना ने तो अपने धन्यवाद ज्ञापन में उस समय तक वीरगति को प्राप्त हो चुके २ लोगों के नामा भी नहीं लिए , टीम अन्ना के सदस्य तो चिता पर रोटी सेंक कर खाने वालों में से हैं |
मुक्त सत्य: ज्ञान , धन और समाज के लिए ज्ञान का महत्त्व
http://nationalizm.blogspot.com/2011/09/blog-post.html

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