दोस्तों देश आज अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद होने का जश्न मना रहा है .देश का हर शख्स आज खुद को आज़ाद मानने की भूल कर एक दुसरे को आज़ादी की मुबारकबाद दे रहा है लेकिन आज़ादी के जश्न के बीच भ्रष्टाचार के गुलामों ने अपना तानाशाही रवय्या बताकर देश के आज़ादी के दीवानों को सकते और सदमे में डाल दिया है ................देश में भ्रष्टाचार को रोकने भ्रष्ट लोगों को सजा देने के लियें अह्निसक प्रदर्शन ..अनशन की इजाज़त मांगने पर भी अड़ंगे लगाकर इंकार करना देश की आज़ादी को शर्मसार करने वाली है .पूरा देश जानता है कोंग्रेस हो चाहे हो भाजपा चाहे कोई भी राजनितिक पार्टी हो जब चाहती है रास्ता जाम कर देती है ..हंगामे और प्रदर्शन करती है ..बंद का आह्वान कर जनता को तकलीफ देती है ..गुर्जर आरक्षण के नाम पर राजस्थान की जनता को एक माह से भी अधिक वक्त तक नज़र बंद कर देती है ..तोड़फोड़ और पटरियों को नुकसान पहुंचाया जाता है चोकिया जलाई जाती है हथियार लूटे जाते हैं तब सरकार को कभी भी कानून व्यवस्था के बारे में याद नहीं आया ....देश जलता रहा पुलिस और सरकारें तमाशा देखती रही सुप्रीम कोर्ट ने दर्जनों बार सरकारों को लताड़ पिलाई लेकिन सरकार के कान पर जू तक नहीं रेंगी .पहली बार देश में एक गेर राजनितिक मंच द्वारा केवल और कवल अहिंसा और अनशन के बल पर अपनी मांगों के समर्थन में संवेधानिक विरोध की शुरुआत की है तो बस सरकार को कानून ..जनहित याद आ गया ..देश के आन्दोलन करने वाले लोगों की वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को सरकार के हाथों का पुलिस हथियार बन कर छीन रही है ..बड़े शर्म की बात है के देश के अधिकारी देश के पुलिस कर्मी आज भी तानाशाह सरकार का साथ दे रहे हैं उन्हें जरा तो राष्ट्रभक्त बनना होगा और सरकार के गेर कानूनी आदेशों को मानने से इंकार कर सरकार को आयना दिखाना होगा देखते हैं भ्रस्टाचार के गुलाम सरकारी लोग और सरकार गांधीवादियों की क्या दुर्गति करती है ..अन्ना को अपहरण करवाकर अज्ञातवास में ले जाती है या फिर मुकदमा बनाकर पिंजरे में डालती है .लेकिन एक बात सच है अगर अन्ना बाबा रामदेव की तरह रणछोड़ दास साबित नहीं हुए .पुलिस और अनशन से नहीं घबराए और अपने गाँधीवादी अनशन का उदाहरण पेश किया तो अन्ना चाहे जेल में हो चाहे अस्पताल में चाहे सड़क पर हो जनता तो उनके साथ रहेगी और सरकार तो गई ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
1 टिप्पणियाँ:
Sach, kadva ho yaa meetha, ganda ho ya achha, par sach ... jvalnt sach
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