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श्रावण - श्राव अणुओं का

Written By Brahmachari Prahladanand on शुक्रवार, 5 अगस्त 2011 | 6:34 am

श्राव होता है जब अणु का उसे कहते हैं श्रावण | श्रावण में अणुओं का श्राव होता है | यह अणु बाद में अलग-अलग जीव जन्तु, पेड़-पोधे, मनुष्य, पशु, पक्षी, के रूप में जन्म लेते हैं | श्रावण में पृथिवी का गर्भ खुल जाता है और परमात्मा के अणु पृथ्वी के गर्भ में गर्भ धारण करते हैं | यह श्रावण मास में पृथिवी में भी अणुओं का श्राव होता है | और पृथिवी मासिक धर्म से होती है | उसके बाद गर्भ धारण करती है | तो जिस प्रकार मासिक धर्म के समय स्त्री को घर पर ही रहना चाहिए | उसी प्रकार जब पृथ्वी का मासिक धर्म आता है तो सबको घर पर रहना चाहिए | इस समय अणुओं का पृथ्वी में सामना होता है | और जो साल भर की गंदगी पृथ्वी में होती है, वह गंदगी निकल जाती है | तथा पृथ्वी पुनः तारो ताज़ा और नयी हो जाती है | नदी, तालाब, कुएँ, और जल स्त्रोत भी नए और ताज़े हो जाते हैं | गंदगी सब निकल जाती है | पृथ्वी को परमात्मा स्वस्छ और सुन्दर बना देता है | तथा जिस प्रकार खेती होने के लिए खेत तैयार होता है, उसी प्रकार पृथिवी भी नए गर्भ के लिए तैयार होती है | इस श्रावण मास में बहुत से प्राणी गर्भ धारण करते हैं | यह श्रावण मास में ही गुरु भी शिष्य को अपने गर्भ में धारण करता है, और श्रावणी के समय जनेऊ संस्कार होता है |
 
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