मैं यह पूरे विश्वास मे साथ कह सकता हूँ कि इस देश का हर एक बुद्धिजीवी ये जान चुका है कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की इस देश को कितनी जरूरत है, आज प्रत्येक समझदार व्यक्ति ये कहता है कि अगर नेहरू की जगह नेता जी होते तो आज देश नही बंटा होता, और अगर देश नही बंटा होता तो इस देश की आंतकवाद जैसी विकराल समस्या का नमोनिशान न होता।
उदाहरण आपके सम्मुख है—
24 जनवरी 2011 टाइम्स नेटवर्क
कोलकाता।। ' नेताजी सुभाषचंद्र बोस आज होते तो भारत के विकास की रफ्तार कई गुना तेज होती और हम चीन से आगे होते।' इन्फोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति का कुछ यही मानना है।
नायारण मूर्ति के मुताबिक जवाहरलाल नेहरू की उद्योगों को न पनपने देने की नीतियों और लाइसेंसी राज के खिलाफ नेताजी बेहद सक्षम साबित होते। नेताजी होते तो शायद भारत का विभाजन भी नहीं हुआ होता। नारायण मूर्ति ने कोलकाता में नेताजी मेमॉरियल ओरिएंटेशन के दौरान यह बात कही।
सॉफ्टवेयर गुरु मूर्ति ने कहा कि केंद्र नेताजी को उचित सम्मान नहीं दे रहा है। मूर्ति ने कहा कि आजादी के बाद नेताजी होते तो भारत कुछ अलग देश होता। नेताजी, नेहरू, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, और सी. राजगोपालाचारी की टीम अगर एक साथ मिलकर काम करती तो भारत के लिए चमत्कार कर सकती थी।
भारत आज वहां होता, जहां चीन खड़ा है। नेताजी कद्दावर थे। नेताजी ही वह शख्स थे, जिन्होंने महात्मा गांधी से असहमत होने का साहस दिखाया था।
“नेताजी ही वह शख्स थे, जिन्होंने महात्मा गांधी से असहमत होने का साहस दिखाया था”, और किसी मे इतनी हिम्मत नही थी, यह वाक्यांश एक ओर नेहरू और दूसरे नरम दल वाले नेताओं की बुजदली और सत्तालोलुपता दिखाता है और दूसरी तरफ़ गाँधी का महात्म्य युक्त आंतक।
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