भ्रष्टाचारी भारत में -रह लो ??
नहीं -कहेंगे-भारत छोडो …
गोरे होते तो कह देते
“काले” हो तुम-भाई -मेरे
शर्म हमें -ये “नारा’ देते
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ये आन्दोलन बहुत बड़ा है
खून –पसीना- सभी लगा है !
बहने -भाई -बाप तुम्हारा
बेटा देखो साथ खड़ा है !!
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हम चाहें तो गरजें बरसें
आंधी तूफाँ कहर दिखाएँ
चपला सी गिर राख बनायें
इतने महल जो भूखे रख के
तुमने बासठ साल बनाये
मिनट में सारे ढहा दिखाएँ
शांत सिन्धु लहराते आयें
और सुनामी हम बन जाएँ !!
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कदम -ताल में शक्ति हमारे
कांपें भू -वो जोश दिखाएँ
पांच पञ्च के हम सब प्यारे
न्याय अहिंसा के मतवारे
लाठी गोली की आदत तो
वीर शहीदों ने सिखलाये
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भूखे अनशन पर हम बैठे
लूटे जो -कुछ उसे बचाएं ??
गाँधी -अन्ना भूखे बैठे
भ्रष्टाचारी किस-मिस खाएं
जो ईमान की बात भी कर दे
छलनी गोली से हो जाए
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हे रक्षक ना भक्षक बन जा
गेहूं के संग घुन पिस जाएँ
क्या चाहे तू यज्ञं कराएं
तक्षक -नाग-सांप जल जाएँ
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हमसे भाई “भेद ” रखो ना
घर में रह के “सेंध” करो ना
जिस थाली में खाना खाते
काहे छेद उसी को डाले
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कल बीबी बेलन ले दौड़े
बेटा -गला दबाने दौड़े
दर्पण देख के तुझको रोये
तू क्या चाहे ?? ऐसा होए ??
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शुक्ल भ्रमर ५
२५.०८.२०११ जल पी बी
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