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नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की मौत

Written By नीरज द्विवेदी on गुरुवार, 11 अगस्त 2011 | 11:34 pm



ये प्रश्न अभी तक अनुत्तरित है कि हमारे नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की मौत कैसे हुईमैं यहां कुछ नया कहने वाला नही हूँमेरी ये कोशिश केवल एक समाचार पत्र का एक टुकडा सुरक्षित करने की कोशिश मात्र है,  जय हिन्द।

11 अगस्त 2011 इन्डियाटाइम्स
     वाराणसी -- नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के रहस्य को सुलझाने के लिए कई कमिटी और कमिशन बिठाए गएकितनी किताबें लिखी गईंलेकिन नेताजी के एक सहयोगी और प्रत्यक्षदर्शी से किसी ने कभी संपर्क नहीं किया।
     आजमगढ़ में इस्लामपुराबिलरियागंज में रहने वाले 107 साल के निजामुद्दीन खुद को आजाद हिंद फौज में नेताजीका ड्राइवर बताते हैं। निजामुद्दीन के मुताबिक उन्होंने 1942 में आजाद हिंद फौज जॉइन करने के बाद 4 साल नेताजी के साथ गुजारे।
     निजामुद्दीन को यकीन है कि नेताजी की मौत 1945 के प्लेन हादसे में नहीं हुई थी। निजामुद्दीन कहते हैं, ‘यह कैसे हो सकता है क्योंकि प्लेन हादसे के करीब 3-4 महीने बाद मैंने उन्हें कार से बर्मा और थाईलैंड की सीमा पर सितंगपुर नदी के किनारे छोड़ा था।

     निजामुद्दीन को इस बारे में कुछ भी पता नहीं कि जब उन्होंने नेताजी को नदी के किनारे छोड़ाउसके बाद क्या हुआ। निजामुद्दीन के मुताबिक वह नेताजी के साथ ही रहना चाहते थेलेकिन नेताजी ने उन्हें आजाद भारत में मिलने का वादा करके वापस भेज दिया था।
     करीब 10 साल बाद निजामुद्दीन की मुलाकात नेताजी के करीबी एक स्वामी से हुई थी। स्वामी नेताजी के संपर्क में थे। निजामुद्दीन के पास एक सर्टिफिकेट भी है जो आजाद हिंद फौज से उनका संबंध दिखाता है। इस सर्टिफिकेट से यह भी पता चलता है कि स्वामी का पूरा नाम एसवी स्वामी था और वह राहत और देश - प्रत्यावर्तन काउंसिल पूर्व आजाद हिंद फौज और गठबंधन रंगून के चेयरमैन थे। 1969 में निजामुद्दीन अपने परिवार के साथ भारत लौट आए।

ये प्रश्न अभी तक अनुत्तरित है
Source : Indiatimes

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2 टिप्पणियाँ:

Bharat Swabhiman Dal ने कहा…

नीरज जी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु का सच जानने के लिए मैंने भी काफी प्रयास किया है । इसके लिए मैं भारत दल के संस्थापक 117 वर्षीय गौरी शंकर अवधूत से भी मिला हूँ । वे भी यही कहते है कि नेताजी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई है । लेकिन प्रमाणित जानकारी उनसे भी न मिल सकी ।
अभी दिल्ली से प्रकाशित एक राष्ट्रभक्ति पूर्ण संस्कारित पत्रिका ' जाह्नवी ' के पुराने अंक में अचानक एक लेख मिला जिसमें एक विद्वान लेखक ने ' आजादी के इतने दिनों बाद भी नेताजी भारत क्यों न आ सके ' शीर्षक से एक लेख लिखा है । उस लेख में नेताजी को रूस में नजरबंद होना तथा नेहरू के आदेश पर भारत में न आने देना बताया गया है । उस लेख में भारत के कुछ राष्ट्रीय नेताओं द्वारा नेताजी के दर्शन करने का भी वर्णन है ।
मैं उस लेख पर अभी शोध कर रहा हूँ , यदि प्रमाणिकता मिली तो उसे राष्ट्रहित में अपने ब्लॉग आदि पर प्रकाशित करूंगा ।
www.vishwajeetsingh1008.blogspot.com

नीरज द्विवेदी ने कहा…

Dhanybad Vishwajeet ji.. Intjaar karunga aur koshish bhi.

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