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तेरी रक्षा का प्रण बहना रग-रग में राखी दौडाई

Written By Surendra shukla" Bhramar"5 on शनिवार, 13 अगस्त 2011 | 1:37 pm


बहना मेरी दूर पड़ा मै
दिल के तू है पास
अभी बोल देगी तू “भैया”
सदा लगी है आस
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मुन्नी -गुडिया प्यारी मेरी
तू है मेरा खिलौना
मै मुन्ना-पप्पू-बबलू हूँ
बिन तेरे मेरा क्या होना !
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तू ही मेरी सखी सहेली
कितना खेल खिलाया
कभी -कभी मेरी नाक पकड़ के
तूने बहुत चिढाया !
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थाली में तू अपना हिस्सा
चोरी से था डाल खिलाया
जान से प्यारी मेरी बहना
भैया का गहना है बहना !!
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जब एकाकी मै होता हूँ
सजी थाल तेरी वो दिखती
Rakhi-festival-images
चन्दन जभी लगाती थी तू
पूजा- मेरी आरती- करती !
रक्षा -बंधन और मिठाई
दस-दस पकवान पकाती थी
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बाँध दिया बंधन से तूने
ये अटूट रक्षा जो करता
मेरी बहना सदा निडर हो
ख़ुशी रहे दिल हर पल कहता
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जहाँ रहे तू जिस बगिया में
हरी-भरी हो फूल खिले हों
ऐसे ही ये प्यारा बंधन
सब मन में हो -गले लगे हों
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तू गंगा गोदावरी सीता
तू पवित्र मेरी पावन गीता
तेरी राखी आई पाया
चूम इसे मै गले लगाया
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कितने दृश्य उभर आये रे
आँख बंद कर हूँ मै बैठा
जैसे तू है बांधे राखी
मन -सपने-उड़ता मै “पाखी”
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तेरी रक्षा का प्रण बहना
रग-रग में राखी दौडाई
और नहीं लिख पाऊँ बहना
आँख छलक मेरी भर आई
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
१३.०८.११ ८.४५ पूर्वाह्न
जल पी बी
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3 टिप्पणियाँ:

Shalini kaushik ने कहा…

आपको रक्षाबंधन की बहुत बधाई!!

Unknown ने कहा…

bhai bahan ke is pyar ke liye aabhar

vikasgarg23.blogspot.com

SAJAN.AAWARA ने कहा…

Bahut hi pyari rachna......
Raksha bandhan ki hardik bdhai..
Jai hind jai bharat

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