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ये आँसू

Written By नीरज द्विवेदी on शनिवार, 6 अगस्त 2011 | 8:47 pm


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लोग कहते हैं कि ये आँसू, तो बस ख़ुशी के आँसू हैं,
हमें याद नहीं शायद, हमने ही ऐसा कभी कहा तो नहीं॥

सुबह से ही, अश्क की बातें करो, तो लोग कहते हैं,
जब से उठे हो अभी तक, हाथ मुँह धोया कि नहीं॥
जो सुबह से ही चालू हो गए...



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1 टिप्पणियाँ:

POOJA... ने कहा…

subah se chaalu ho gae... ye to bahut suna-suna sa lagta hai... ya shayad roz hi sunte hai...
bahut sahi aur sateek likha hai...

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