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बात पते की एक कहता हूँ,
तर जाएँ जिससे जन,
उस तर्जनी की,
बात कहता हूँ,
माउस को तर्जनी से,
दबाते-दबाते,
न जाने क्यां-क्या,
ज्ञान पाते है,
याद करो,
तर्जनी से,
माला के मनके,
फेरे जाते हैं,
उसी तर्जनी से,
माउस को दबाते,
क्या कभी दवाब,
महसूश किया,
जो असर होता,
मनके दबाने से,
वही असर होता है,
माउस का बटन,
दबाने से,
न जाने दिन में,
कितने बार,
किनते सालो,
माउस का बटन,
दबा रहे,
तभी तो,
कम्प्यूटर का,
उपयोग करने वाले,
एकांत में समां रहे,
जितना माउस वो,
दबाते हैं,
उतना तरते जाते हैं,
इस दुनिया से,
दूरी बनाते जाते हैं,
उनको पता भी नहीं,
अहसास भी नहीं,
इस बात का,
कितना भजन वो,
कर जाते हैं,
तर्जनी से,
माउस का बटन,
दबाते-दबाते,
ज्ञान मुद्रा हैं,
बनाते जाते,
एक ज्ञान इन्टरनेट से,
और एक ज्ञान,
भीतर से,
पाते जाते,
साथ-साथ भजन होता जाता,
उनको पता भी न पड़ पाता,
कम्प्यूटर के साथ-साथ,
ज्ञान आध्यात्मिकता का आता जाता,
तभी तो उनमे,
बल आता जाता,
उसी बल से ब्लॉग,
लिखता जाता,
बल आता है ज्ञान का,
तभी वह ब्लॉगर बन जाता है,
ब्लॉग लिखते-लिखते,
ज्ञान कितना देता जाता,
धन्यवाद कहो उसका,
जिसने माउस है बनाया,
उसी माउस को दबाने से,
ज्ञान हमने है पाया,
पहले साधारण माउस से,
ज्ञान थोडा है आया,
पर जबसे ओप्टिकल माउस है आया,
उसने तर्जनी को और है दबाया,
जिससे ज्ञान है और आया,
तर गए जन,
तुझसे हे माउस,
तुझसे ज्ञान आध्यात्मिकता का,
अनजाने में पाया,
माउस को तर्ज़नी से दबाने पर,
उसी तरह का अहसास होता है,
जिस तरह का अहसास,
माला के मनको को फेरने पर होता है,
------- बेतखल्लुस
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बात पते की एक कहता हूँ,
तर जाएँ जिससे जन,
उस तर्जनी की,
बात कहता हूँ,
माउस को तर्जनी से,
दबाते-दबाते,
न जाने क्यां-क्या,
ज्ञान पाते है,
याद करो,
तर्जनी से,
माला के मनके,
फेरे जाते हैं,
उसी तर्जनी से,
माउस को दबाते,
क्या कभी दवाब,
महसूश किया,
जो असर होता,
मनके दबाने से,
वही असर होता है,
माउस का बटन,
दबाने से,
न जाने दिन में,
कितने बार,
किनते सालो,
माउस का बटन,
दबा रहे,
तभी तो,
कम्प्यूटर का,
उपयोग करने वाले,
एकांत में समां रहे,
जितना माउस वो,
दबाते हैं,
उतना तरते जाते हैं,
इस दुनिया से,
दूरी बनाते जाते हैं,
उनको पता भी नहीं,
अहसास भी नहीं,
इस बात का,
कितना भजन वो,
कर जाते हैं,
तर्जनी से,
माउस का बटन,
दबाते-दबाते,
ज्ञान मुद्रा हैं,
बनाते जाते,
एक ज्ञान इन्टरनेट से,
और एक ज्ञान,
भीतर से,
पाते जाते,
साथ-साथ भजन होता जाता,
उनको पता भी न पड़ पाता,
कम्प्यूटर के साथ-साथ,
ज्ञान आध्यात्मिकता का आता जाता,
तभी तो उनमे,
बल आता जाता,
उसी बल से ब्लॉग,
लिखता जाता,
बल आता है ज्ञान का,
तभी वह ब्लॉगर बन जाता है,
ब्लॉग लिखते-लिखते,
ज्ञान कितना देता जाता,
धन्यवाद कहो उसका,
जिसने माउस है बनाया,
उसी माउस को दबाने से,
ज्ञान हमने है पाया,
पहले साधारण माउस से,
ज्ञान थोडा है आया,
पर जबसे ओप्टिकल माउस है आया,
उसने तर्जनी को और है दबाया,
जिससे ज्ञान है और आया,
तर गए जन,
तुझसे हे माउस,
तुझसे ज्ञान आध्यात्मिकता का,
अनजाने में पाया,
माउस को तर्ज़नी से दबाने पर,
उसी तरह का अहसास होता है,
जिस तरह का अहसास,
माला के मनको को फेरने पर होता है,
------- बेतखल्लुस
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1 टिप्पणियाँ:
वाह, आकर्षक बात कही आपने, इस बार मैं भी अनुभव करने की कोशिश करूंगा
My Blog: Life is Just a Life
My Blog: My Clicks
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Thanks for your valuable comment.