नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » , » पलकों की पीर

पलकों की पीर

Written By नीरज द्विवेदी on शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2011 | 9:21 am



-- Image from google with thanks.
पलकों में बसी है पीर बहुत,
बरखा के आने की बारी है।
वो मुझमें रहती दूर बहुत,
ज्यों बादल पानी की यारी है।
Share this article :

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.