कई बार ऐसा लगा है ,
स्वतंत्रता कैद हो गयी है ,
तारीख के किसी पुराने ,
जर्जर किले में,
जिसका नाम है ,
15 अगस्त 1947 ,
उस किले के पीछे ,
और आगे बह रही है
मासूमों की खून की नदियाँ ,
जिनका कुसूर बस इतना था
कि उन्हें आजादी प्यारी थी
स्वतंत्रता कैद हो गयी है ,
तारीख के किसी पुराने ,
जर्जर किले में,
जिसका नाम है ,
15 अगस्त 1947 ,
उस किले के पीछे ,
और आगे बह रही है
मासूमों की खून की नदियाँ ,
जिनका कुसूर बस इतना था
कि उन्हें आजादी प्यारी थी
1 टिप्पणियाँ:
bahut badhiya soch liye hue kavita
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Thanks for your valuable comment.