दूर वो जिन्दगी से अब,
धीरे-धीरे जाने लगे हैं,
उनकी चाल से महसूश किया,
किसी की अपनाने लगे हैं,
हमने भी उन्हें छोड़ दिया,
आज़ादी दे दी,
तब से लेकर तब तक,
जिन्दगी उनके बिना ही जी ली,
वर्षों बाद दिखे थे,
एक हसीना के साथ,
घूम रहे थे दोनों,
डाले हाथों में हाथ,
हम उनके सामने न आए,
वो हमको न देख पाए,
दूर से ही नज़र रखी,
अपनी ही सहेली दिखी,
.
धीरे-धीरे जाने लगे हैं,
उनकी चाल से महसूश किया,
किसी की अपनाने लगे हैं,
हमने भी उन्हें छोड़ दिया,
आज़ादी दे दी,
तब से लेकर तब तक,
जिन्दगी उनके बिना ही जी ली,
वर्षों बाद दिखे थे,
एक हसीना के साथ,
घूम रहे थे दोनों,
डाले हाथों में हाथ,
हम उनके सामने न आए,
वो हमको न देख पाए,
दूर से ही नज़र रखी,
अपनी ही सहेली दिखी,
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2 टिप्पणियाँ:
सुन्दर रचना.
Wah ... kitni asani se kya kya kah diya aapne.
My Blog: Life is Just a Life
My Blog: My Clicks
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Thanks for your valuable comment.