नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » , » दूर अक्नायितों से आवाज़-सी आती है

दूर अक्नायितों से आवाज़-सी आती है

Written By Pappu Parihar Bundelkhandi on गुरुवार, 13 अक्टूबर 2011 | 6:53 am

दूर अक्नायितों से,
आवाज़-सी आती है,
कोई निगाह,
बार-बार,
देख-सी जाती है,

मन ही मन में,
सोचता हूँ,
यह हूर कौन हैं,
जो तक-सी जाती है,

क्यूँ मुझे,
देख जाती है,
देखकर,
अनदेखा,
कर जाती है,

रोज़-रोज़,
इसी तरह,
छत पर,
चली आती है,

बैठा हूँ,
अपनी किताबें लेकर,
अब कोई,
बहाना लेकर,

सोच उसी के,
बारे में,
रहा हूँ,
समझ न,
पा रहा हूँ,

रोज़-रोज़,
मैं भी,
छत पर,
चला आता हूँ,

इक रोज़,
वो न आयी,
बड़ी देर,
नज़र बैठाई,

सीडियों पर,
आवाज़ आयी,
झट से निगाह,
किताब में,
गड़ाई,

बहिन है,
मेरी आयी,
साथ उसके,
वो भी आयी,

मेरी तो हवा,
निकल आयी,
क्या शिकायत,
लेकर आयी,

फिर कभी वो,
छत पे न आयी,
आज तक है,
आस लगाई,

बात बाद में,
पता चलाई,
उसकी तो,
हो गयी सगाई,

यहाँ तो बस,
घूमने है आयी,
वो हो गयी,
अब परायी,

हाय वो लम्हा,
कभी-कभी जिन्दगी भर सताता है,
जब सामने से मोहब्बत आती है,
पर इश्क इतराता है,

हिम्मत गर उस वक्त कर जाता,
उसे इस वक्त अपने पास पाता,

.
Share this article :

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.