कृतिका कामरा - Kritika Kamra
तेरी आवाज़,
तेरी आँखें,
तेरे ओंठ,
तेरे दाँत,
डॉ. निधि वर्मा
पहली मुलाक़ात,
बड़ी अजीब-सी थी,
पेश आयी उनसे,
बड़ी करीब-सी थी,
डॉ. आशुतोष मन ही मन में
वो हड़बड़ी में,
गड़बड़ी कर रहे थे,
कहना कुछ चाह रहे थे,
कह कुछ रहे थे,
इतनी मासूमियत से वो बोलते हैं,
उलझन में न जाने क्या-क्या बोलते हैं,
दिल में उल्फत-सी घोलते हैं,
उलझन में चैन-ओ-अमन खोजते हैं,
तेरी आवाज़,
तेरी आँखें,
तेरे ओंठ,
तेरे दाँत,
डॉ. निधि वर्मा
पहली मुलाक़ात,
बड़ी अजीब-सी थी,
पेश आयी उनसे,
बड़ी करीब-सी थी,
डॉ. आशुतोष मन ही मन में
वो हड़बड़ी में,
गड़बड़ी कर रहे थे,
कहना कुछ चाह रहे थे,
कह कुछ रहे थे,
इतनी मासूमियत से वो बोलते हैं,
उलझन में न जाने क्या-क्या बोलते हैं,
दिल में उल्फत-सी घोलते हैं,
उलझन में चैन-ओ-अमन खोजते हैं,
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