नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » » फ़क्त-ए-उज्मात से

फ़क्त-ए-उज्मात से

Written By Brahmachari Prahladanand on रविवार, 9 अक्टूबर 2011 | 10:23 am

फ़क्त-ए-उज्मात से,
वक्त के साए को कैसे रोकूँ,
मैं तो वही हूँ,
जिन्दगी के हालत को कैसे रोकूँ,

आती हैं, जाती है, सुईयाँ,
घडी की गोल-गोल घूम जाती हैं,
जिस्म ऊपर से कितना बदल जाता है,
आईने में देख, रूह तो वही रह जाती है,

अचरज होता जब जिस्म यूँ,
वक्त-ए-वक्त बदलता,
रूह अभी-भी वैसे ही है,
आईना न जाने कितने बदलता,

हर लम्हा गुज़र जाता,
वक्त कब का गुज़र जाता,
छूट गया जो जिस्म,
वो फिर कभी न पाता,

                         ------- बेतखल्लुस


.
Share this article :

1 टिप्पणियाँ:

विभूति" ने कहा…

हर लम्हा गुज़र जाता,
वक्त कब का गुज़र जाता,
छूट गया जो जिस्म,
वो फिर कभी न पाता,.. bhaut hi khubsurat....

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.