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उलझन-सी है,
कशमकश-सी है,
ठहराई-सी है,
गहराई-सी है,
कदम क्या उठाऊं,
रूक जाऊं, चली जाऊं,
बैठे-बैठे समझ न पाऊं,
किस पर ऐतबार कर जाऊं,
ज़माना बड़ा है,
अपना न कोई खड़ा है,
जिधर नज़र पड़ी है,
घूरती नज़र गडी है,
अहसान अब न ले सकूं,
बोझ उसका न सह सकूं,
अह्सानदार बड़ा होता है,
हर जगह खड़ा होता है,
उलझन-सी ....
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1 टिप्पणियाँ:
भावपूर्ण प्रस्तुति ||
बहुत सुन्दर |
हमारी बधाई स्वीकारें ||
http://dcgpthravikar.blogspot.com/2011/10/blog-post_10.html
http://neemnimbouri.blogspot.com/2011/10/blog-post_110.html
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Thanks for your valuable comment.