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इतनी बेशर्म निगाह

Written By Pappu Parihar Bundelkhandi on शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011 | 5:44 am

इतनी बेशर्म निगाह,
घूरते ही,
जा रही है,
शर्म उसको,
न आ रही है,

मुझमें उसने,
क्या देखा,
जो सरे बाज़ार,
होश खो बैठा,

मैं तो कुछ,
ख़ास नहीं हूँ,
फिर भी वह मुझ पर,
दीवाना-सा हो गया,

नज़र मेरी भी,
न हट रही अब,
सोच उसी,
के बारे में,
रही अब,

वो तो,
देखते ही,
जा रहा है,
नज़र अब भी,
न हटा,
रहा है,

कुछ तो,
करूँ,
कैसे यहाँ,
से हटूँ,

नहीं तो,
बदनाम कर देगा,
सरे बाज़ार,
नाम कर देगा,

पर उसकी,
वो कशक,
दीवाना-सा,
कर गयी,

उसकी,
वो नज़र,
उस पर,
मैं मर गयी,



.
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4 टिप्पणियाँ:

shyam gupta ने कहा…

वह ! क्या जबरदस्ती है जनाब ...

prerna argal ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
prerna argal ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Kailash Sharma ने कहा…

बहुत खूब !

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