नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » » आपसे गर हकीकत कह दूँ

आपसे गर हकीकत कह दूँ

Written By Brahmachari Prahladanand on बुधवार, 5 अक्टूबर 2011 | 9:31 am

आपसे गर हकीकत कह दूँ,
उस खुदा की,
जहन में कितना उतार पाओगे,
क्या बंद आँखों से,
उसकी रोशनी देख पाओगे,

यूँ ही नहीं सह्फ्ज़ा में,
उसकी महक है फैली,
चहक-चहक उडती हैं चिड़ियाँ,
महक-महक फूलों में फैली,

आने आबदाब से उडती है,
उसकी महक,
खाने खाबदाब से उडती है,
उसकी महक,

                                ------- बेतखल्लुस

.
Share this article :

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.