आपसे गर हकीकत कह दूँ,
उस खुदा की,
जहन में कितना उतार पाओगे,
क्या बंद आँखों से,
उसकी रोशनी देख पाओगे,
यूँ ही नहीं सह्फ्ज़ा में,
उसकी महक है फैली,
चहक-चहक उडती हैं चिड़ियाँ,
महक-महक फूलों में फैली,
आने आबदाब से उडती है,
उसकी महक,
खाने खाबदाब से उडती है,
उसकी महक,
------- बेतखल्लुस
.
उस खुदा की,
जहन में कितना उतार पाओगे,
क्या बंद आँखों से,
उसकी रोशनी देख पाओगे,
यूँ ही नहीं सह्फ्ज़ा में,
उसकी महक है फैली,
चहक-चहक उडती हैं चिड़ियाँ,
महक-महक फूलों में फैली,
आने आबदाब से उडती है,
उसकी महक,
खाने खाबदाब से उडती है,
उसकी महक,
------- बेतखल्लुस
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