कितना तन्हा,
वो लग रहा है,
बड़ा उदास,
वो लग रहा है,
जानती हूँ उसे,
देखता है,
खिड़की से,
रोज़ वो मुझे,
शायद कोई,
बात हो,
क्या पता,
क्या बात हो,
जा नहीं सकती,
उसके पास,
उससे कुछ,
कह नहीं सकती,
लड़की हूँ न,
जमाना देखता है,
कुछ हो न,
रोटियाँ सकता है,
.
वो लग रहा है,
बड़ा उदास,
वो लग रहा है,
जानती हूँ उसे,
देखता है,
खिड़की से,
रोज़ वो मुझे,
शायद कोई,
बात हो,
क्या पता,
क्या बात हो,
जा नहीं सकती,
उसके पास,
उससे कुछ,
कह नहीं सकती,
लड़की हूँ न,
जमाना देखता है,
कुछ हो न,
रोटियाँ सकता है,
.
4 टिप्पणियाँ:
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
जा नहीं सकती,
उसके पास,
उससे कुछ,
कह नहीं सकती.... bhaut hi khubsurat....
मन के भाव किस तरह तैर गये इन पंक्तियों मे… बहुत सुंदर और बिल्कुल सही
"लड़की हूँ न,
जमाना देखता है,
कुछ हो न,
रोटियाँ सकता है।"
अच्छी अभिव्यक्ति....
सादर...
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Thanks for your valuable comment.