मत कहो कुछ, कोई बच्चा कुनमुना है,
सूर्य लेकर हाथ में, सच ढूंढने की कोशिश,
भी हार सकती है,
बाहर सब ओर कोहरा घना है॥
मत जगाओ देश को, यह अनसुना है,
किसान का हल, सैनिक की बन्दूक,
भी हार सकती है,
धन का नशा कई गुना है॥
मत कहो सच, आजकल बिलकुल मना है,
पत्रकारिता की बिकी कलम को छोड़ो, ये कलम,
ना हार सकती है
सत्य का न ही नामों निशां है॥
मत समझना, गरीब भी मानव जना है,
इन्हें बचाने की कोशिश करती, इंसानियत
भी हार सकती है
ये न मिट्टी का बना है॥
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