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कारण - मारण - जागरण - तारण

Written By Brahmachari Prahladanand on शनिवार, 1 अक्तूबर 2011 | 9:26 am

कारण = का + रण = बिना कारण के कोई रण नहीं होता है, रण के लिए कारण जरूरी होता है,

मारण = मा + रण = मारा जाता है किसी को रण में, रण में ही किसी को मारा जाता है,

जागरण = ज + आग + रण = जलती है आग रण में, रण में ही आग भी जलती है, एक तो खाना पकाने के लिए, एक मरे हुए जो जलाने के लिए, एक दुश्मन को जलाने के लिए, की मैं तेरी दुश्मनी की आग में जल रहा है, और इस दुश्मनी की आग से तुझे भी जला दूंगा,

तारण = ता + रण = तर जाता है, रण में, यानी जो रण में वीरगति को प्राप्त हो जाता है, वही तर भी जाता है,

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