जब भगवान् ने मिठास और कड़वे स्वाद बना दिए,
उन का निरक्षण कर पृथ्वी में फैला दिए.
शायद उन्होंने सोचा होगा कुछ कमी है अभी,
जब शिव सोच में पड़ गए इन्द्र भी विचार रहे थे तभी.
विष्णु ने सोचा क्यों न कुछ किया जाए,
सब के मुख पर आश्चर्य का भावः लाया जाए.
देव ऋषि ले चले संदेश ब्रह्मा के पास,
ब्रह्मा को भी अपनी शक्ति की सिधता का हुआ एहसास.
बहुत सोचा गया, बहुत विचार गया.
सभी विध्व्जनो ने लगे अपनी अपनी प्राग्य और ताकत,
विनम्रता से बोली "नवरत्न" अप्सरा आ कर.
क्यों न सभी स्वादों को मिलाया जाए,
एक नए स्वाद की रचना की जाए.
सबको आया विचार पसंद,
सभी प्रफुलित हो गए देवगण.
मिठास, कड़वाहट, तीखा, फिक्का,
सभी स्वादों मिलाये गए बनाया गया एक नया स्वाद,
तब सब ने नाम विचार, विचार कर रखा गया खट्टा स्वाद.
यही है दास्तान खट्टेपन की,
यही है कहानी निम्बू की रचना की.
~'~hn~'~
(Written in 6-8 Std I dont actually remember)
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5 टिप्पणियाँ:
@ निम्बेकर जी ! आपके नाम में भी क्या निम्बू का कुछ अंश मौजूद नहीं है ?
हा हा हा हा ही ही ही.....हाँ बिलकुल सही.....शायद इसीलिए मुझे खट्टा स्वाद कुछ ज्यादा ही पसंद है...चाट, भल्ले, पपड़ी या फिर गोल गप्पे खूब खाती हूँ मैं...
यह कविता मैंने स्कूल टाइम पे लिखी थी.. उस टाइम ही मुझे खट्टा खाना पसंद है...बस एक दिन इस्सी स्वाद के बारे में सोचते हुए लिख दी यह कविता....
अब मैं बस इसे पढकर खूब जोरो से हँसती हूँ....यह मेरी पहली कविता थी..इसीलिए सोचा पोस्ट कर दूं...
nimbekar jee ki nimbu oar rachna bahut achchhi
सलीम ख़ान जी !
आपका शुक्रिया ।
कृप्या आप मेरा ब्लॉग
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भी देखिएगा !
@ निम्बेकर जी ! आप जिस भी स्वाद को पसंद करती हैं वही स्वाद आपको दिया जाएगा बस एक बार हमारे घर पधारिये। हमने अपनी ख़ानम साहिबा को हिंदी पत्रिका 'मेरी सहेली' के पाक कला संबंधी 8 अंक लाकर दिए हैं तभी से रोज़ वे एक नई डिश पकाकर हमें खिला रही हैं । अगर न आ सकें तो आप पत्रिकाएं ज़रूर खरीद लीजिएगा , सचमुच अच्छी हैं ।
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