मुस्लिम प्रेमी राजस्थान की कोंग्रेस सरकार
दोस्तों कोंग्रेस सरकार जिस की नीव में सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम मतदाता होते हें और सरकार बनने के बाद कोंग्रेस कंगुरा दूसरों को बना कर मजे करवाती हे राजस्थान में कोंग्रेस सरकार किस तरह से मुसलमानों की हमदर्द हे इसकी बानगी जरा देखिये और हाँ अगर ऐसी कल्याणकारी सरकार हे तो हम कहेंगे क्या यही सरकार हे .
राज्स्र्थान में सरकार और कोंग्रेस पार्टी मुस्लिमों की हमदर्द बनने के विज्ञापन दे रही हे दिखावे के तोर पर राजस्थान में अल्पसंख्यक कल्याणकारी विभाग बनाया गया हे लेकिन मुस्लिम जज्बात के आयने में कोंग्रेस और सरकार राजस्थान में क्या हे इसकी बानगी आपके सामने पेश हे , दोस्तों करीब ढाई साल पहले राजस्थान में चुनाव हुए कोंग्रेस सरकार स्थापित हुई दो सो एम एल ऐ बने और कोंग्रेस ने उसमें से दो मुसलमान एम एल ऐ दुर्रु मिया को केबिनेट और अमीन खान को राज्य मंत्री बनाया जिन्हें हटा दिया गया आहे वर्तमान में राजस्थान में केवल एक एक मुसलमान मंत्री हे यहाँ इन ढाई सालों में हज कमेटी में मुसलमान प्रतिनिधि नियुक्त नहीं क्या मेवात बोर्ड गठित नहीं हुआ मदरसा बोर्ड जहां से मुस्लिम प्राथमिक शिक्षा की बुनियाद बनती हे वहन अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गयी अल्प संख्यक वित्त विकास निगम जहां मुसलमानों को कारोबार के लियें लोन दिए जाते हें हें वहां भी अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया गया राजस्थान वक्फ बोर्ड पुरे आठ माह बाद घटित किया गया लेकिन आज तक यहाँ जिला वक्फ कमेटिया भाजपा की ही चल रही हें जहां बंदर बाँट चल रही हे रही हे कुल मिलाकर मुसलमान प्रेमी इस सर्कार ने मुसलमानों को अंगूठा दिखाने के आलावा और कुछ नहीं किया हे हाँ मुसलमानों के कल्याण की समीक्षा के लियें पन्द्राह सूत्रीय कार्यक्रम की क्रियान्विति की जो समीक्षा समितियां गठित होती हें उन समितियों का अभी आज तक प्रदेश और जिला स्टार पर गठन नहीं किया गया हे तो जनाब ऐसी हेहमारी मुस्लिम प्रेमी सरकार इसलियें कोंग्रेस सरकारजिंदाबाद जिंदाबाद अब तो मुस्लमान मतदाताओं को कोंग्रेस के पाँव धोकर पीना चाहिए क्योंकि वक्फ सम्प[त्तियों पर कब्जे हें उनको मुसलमान होने के प्रमाण पत्र बनाकर देने तक में तकलीफें हें और वेसे भी सभी के नेता जो कोंग्रेस में बेठे हें इन तकलीफों को देखते हें जब उन्हें कोंग्रेस दरकिनार कर देती हे वरना वोह कोंरेस के गुलाम होते हें और फिर जब कोंग्रेस उन्हें डंडा मार कर भगा देती हे तो फिर वोह मुसलमान नेता बनने के नाम पर मुसलमानों को बरगला देने की कोशिशों में जुट जाते हें जेसे सरकारी कर्मचारी सारी जिंदगी मुसलमानों के कम करने से बचता रहेगा और फिर रिटायर होने के बाद मुसलमानों में ही बेठ कर उनकी सियासत में हिस्सेदार बनने की कोशिश करेगा वोह किसी मस्जिद में हिसाब किताब वाला सदर तो बनेगा लेकिन अगर उससे कहें के आप पेंशन भोगी हो इस मस्जिद की इमामत थोड़ा सीखकर सम्भाल लो तो वोह ऐसा नहीं करेंगे तो दोस्तों मेरी कोम का यही हाल हे आजकल जितने भी नेता और मोलाना हें वोह कोफ़ी पीते हें हुक्काम और अधिकारीयों के साथ बैठकर .......................... .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
3 टिप्पणियाँ:
अख्तर जी कम से कम कुछ लोग तो कांग्रेस(I) = कांग्रेश(इटली) की दोगले चरित्र को समझते है..ये तुस्टीकरण में लगे होते है..और उससे क्या भला हुआ मुसलमानों का ६० साल बाद भी एक बड़ा तबका अनपढ़ है..क्युकी उनका इस्तेमाल केवल वोट बैंक की तरह हुआ है..और उसके बाद कोई आता है तो धर्म के नाम पर जेहाद सिखा देता है..चुकी एक बड़ा तबका अनपढ़ है तो बहक जाता है..फिर वही सरकार उनका कभी इनकॉनटर करती है कभी अफजल की तरह दामाद बनाकर वोट मांगती है .
अब बुद्धिजीवी मुस्लिमो को आगे आना होगा ब्लॉग लिखने से बढ़कर राजनीती में आना होगा ताकि समाज को दिशा दे सकें.
अख्तर जी कम से कम कुछ लोग तो कांग्रेस(I) = कांग्रेश(इटली) की दोगले चरित्र को समझते है..ये तुस्टीकरण में लगे होते है..और उससे क्या भला हुआ मुसलमानों का ६० साल बाद भी एक बड़ा तबका अनपढ़ है..क्युकी उनका इस्तेमाल केवल वोट बैंक की तरह हुआ है..और उसके बाद कोई आता है तो धर्म के नाम पर जेहाद सिखा देता है..चुकी एक बड़ा तबका अनपढ़ है तो बहक जाता है..फिर वही सरकार उनका कभी इनकॉनटर करती है कभी अफजल की तरह दामाद बनाकर वोट मांगती है .
अब बुद्धिजीवी मुस्लिमो को आगे आना होगा ब्लॉग लिखने से बढ़कर राजनीती में आना होगा ताकि समाज को दिशा दे सकें.
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