क्या श्रीनरेन्द्र मोदीजी मस्तीख़ोर सी.एम. हैं?
http://mktvfilms.blogspot.com/2011/03/blog-post_25.html
==========
स्पष्टता- हाँलांकि,मैं गुजराती कॉलमिस्ट-पत्रकार हूँ, फिर भी यह लेख, मैंने देश के सिर्फ एक आम नागरिक की हैसियत से लिखा है ।
==========
प्यारे दोस्तों,
मैनें कई बार गुजरात के सी.एम.श्रीनरेन्द्र मोदीजीके बारे में, बिहार के सी.एम.श्री नीतिश जी के साथ हुई उनकी बहस के बारे में मेरे विचार व्यक्त किए थे । इसी सिलसिले में आज मुझे एक मित्र ने प्रश्न किया,"क्या आपके गुजरात के सी.एम.श्री मोदीजी, अमेरिका के साथ, आजकल मस्तीखोरी कर रहे है?"
अजीब सा ये सवाल सुनकर मुझे बड़ी हैरानी हुई । मैनें कहा," क्यों दोस्त, ऐसा क्या हुआ?"
जवाब मिला," अख़बार नहीं पढ़ते क्या? यह देखो विकिलीक्स लिकेज की वारदात पर कितना हंगामा मचा है?"
वैसे, मैं अख़बार तो पढ़ता हूँ, लेकिन राजनीति में ज्यादा रूचि न होने के कारण, रोज़ राशि-भविष्य और स्थानीय खबरों को पढ़कर, मैं अपने काम पर लग जाता हूँ । पर आज न जाने क्यों..!! जिस तरह, रामायण में, समुद्र तट पर जाबुंवंतने पवनसूत श्री हनुमानजी को उनके भीतर छिपी हुई, अद्भुत शक्ति का पुनःज्ञान-परिचय करवाया और उनको समुद्र लांधने केलिए प्रोत्साहित किया था । आज उसी तरह मेरे दोस्त ने हमारे सभी देशवासीओं की ओर से मेरे जैसे आम मतदाता की लेखनी की अद्भुत शक्ति को याद करवा कर, मेरे विचार प्रकट करने के लिए मुझे प्रोत्साहित किया है । इसी विषय पर और चिंतन करते हुए अपनी यादों में ही, मैंने, अखबार के कई पन्ने उलट डालें । तुरत मुझे याद आया, यह वही अमेरिका है, जिसने श्रीनरेन्द्र मोदीजी को, हिटलर के रूप में विश्व भर में बदनाम करके अपने देश का विज़ा देने से इनकार किया था ।
अब अचानक ऐसा क्या हो गया..!! धिक्कार-धमकी के स्थान पर, अमेरिका को गुजरात और गुजरात के सी.एम. पर एकाएक प्यार उमड़ आया?
जी हाँ, अमेरिका के कॉन्स्यूलेट जनरल माइकल ऑवन के साथ दिनांक- १६ नवंबर २००६ के दिन गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी की मुलाकात, मोदीजी को अमेरिकन विज़ा न देने का फैसला करने के बाद पहली वार हुई थी । इस मुलाकात के दौरान हुई बातचीत का विवरण मि.माइकल ने अमेरिकी सरकार को भेजा था । हाल ही में, वही दस्तावेज़ को विकिलीक्स द्वारा लिक किया गया था । यह दस्तावेज़ से पता चला है कि, अमेरिका का मोदीजी और गुजरात के बारे में, आजकल कुछ ऐसा मान रहा है कि,
* श्रीनरेन्द्र मोदीजी सर से पाँव तक प्रामाणिक है ।
* श्रीनरेन्द्र मोदीजी के प्रभावशाली नेतृत्व के कारण ही गुजरात विकास के सर्वोच्च शिखर को छू रहा है ।
* श्रीनरेन्द्र मोदीजी दीर्घदृष्टीवाले विकास पुरुष है । वगैरह वगैरह ।
वैसे, बातों-बातों में मिस्टर माइकल ने जब गुजरात के बहुचर्चित दंगों के दौरान हुए मानवाधिकार के हनन का मुद्दा उठाया तब श्रीमोदीजीने, मि.माइकल को बेबाक, साफ-साफ जवाब दिया कि, यह हमारे देश और गुजरात का अंदरूनी मामला है, अमेरिका को इस में बोलने का कोई अधिकार नहीं है । श्रीमोदीजीने मि. माइकल को, यह भी स्पष्ट कर दिया कि,मानव अधिकार हनन के विषय को लेकर अमेरिका खुद पाक़-साफ नहीं है , क्यों की
अमेरिकामें ९/११ ट्वीनटावर्स ध्वस्त की वारदात के बाद भारतीय मूल के-अमेरिकन निवासी शीख समुदाय पर गुज़ारे गए अत्याचार, इराक सहित दूसरे जहाँ-जहाँ पर अमेरिकन सैन्य कार्यवाही हुई, वहाँ के जेल कैदियों पर अमेरिकन सैनिकों द्वारा गुज़ारे गये बर्बर ज़ुल्म का कच्चा चिठ्ठा, आज भी नेट पर वीडियो के रूप में विश्व भर के अहिंसा प्रिय, संवेदनशील लोगों को सन्ताप दे रहा है ।
भारत के अंदरूनी मामलों और नीतियों के बारे में कुछ भी कहने से पहले अमेरिका को चाहिए कि वह खुद अपने मानव अधिकार हनन के मामलों पर दुनिया के सामने सफाई पेश करें और इस बात का यथार्थरूपमें प्रमाण के साथ समर्थन करें,आज के बाद फिर ऐसी वारदातें अमेरिका की ओर से कभी नहीं होगी ।
श्रीनरेन्द्र मोदीजीने यह भी स्पष्ट कर दिया की, भारत के किसी और राज्य की तुलना में गुजरात की सारी प्रजा (जिसमें मुसलमान भी शामिल हैं ।) साधन संपन्न है और राज्य की उन्नति के द्वारा, देश की उन्नति में महत्व का योगदान कर रही है ।
कई बौद्धिकों का यह भी मत है की, श्रीमोदीजी की सुशासन व्यवस्था के कारण ही गुजरात में जहाँ, हर दो-तीन साल के अंतर पर कोमी तनाव भड़क उठता था वहाँ, गोधरा कांड के बाद कोई ऐसी बड़ी वारदात फिर से आजतक नहीं हुई है ।
किसी भी पक्ष के साथ जुड़े, हरएक राजनीतिक को इस विषय में प्रतिक्रिया व्यक्त करने को कहा जाए,तो उनके पक्ष के और निजी स्वार्थ को जोड़कर ही प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे,जो की पूर्वग्रह ग्रसित हो सकती है..!! पर इस विषय में देश प्रेमी मतदाता (आम नागरिक) क्या सोचता है, देश के लिए यही सब से बड़े महत्व की बात है ।
ज्यादातर देशप्रेमी भारतीय मतदाता का यही मत है की, अमेरिका द्वारा, यु.नो.संगठन की नीतियों के ख़िलाफ जाकर, समग्र विश्व में, अपने किसी भी विशेष अधिकार के बिना खुलेआम, कमज़ोर आर्थिक विकास करनेवाले छोटे-छोटे देश में, जिस तरह उनके अंदरूनी मामलो में दख़लअन्दाज़ी करके मानव अधिकारों का ग़लत इस्तमाल किया है ,इसे देखते हुए भारत की कोई भी नीति को प्रभावित करने वाली, कीसी भी अमेरिकन गंदी चाल के सामने अमेरिका को साफ-साफ शब्दोमें उसकी औकात बताने का समय का तकाज़ा और ज़रुरत भी है ।
विकिलीक्स के एडिटर जूलियन असांजे ने, अपनी वेबसाइट द्वारा प्रकाशित,`नोट के बदले-सांसद के वोट` समाचार के अविश्वसनीय होने के, प्रधानमंत्री श्रीमनमोहनसिंध के बयान को सिरे से ख़ारिज कर दिया है ।
अब प्रश्न यह है की, श्रीमोदीजी के बारे में अमेरिका का और क्या क्या मानना है?
* श्री नरेन्द्र मोदीजी की सामाजिक और निजी जिंदगी में उत्तर-दक्षिण दिशा का अंतर है?
* श्री नरेन्द्र मोदीजी सार्वजनिक जीवन में बेबाक-बड़बोले-निर्भय और मिलनसार स्वभाव के लगते हैं, मगर अंगत जीवन में वह एकांत प्रिय और किसी भी व्यक्ति पर जल्दी विश्वास न करनेवाले व्यक्ति है ?
* श्री नरेन्द्र मोदीजी अपने कुछ विश्वासु कैबिनेट मंत्री साथी के सहारे ही सारा सरकारी कामकाज देखते हैं ?
* श्री नरेन्द्र मोदीजी, खुद अपने पक्ष के लोगों की सर्वसम्मति से सरकार चलाने के बजाय, भय और धमकीभरा माहौल खड़ा करके शासन चलाते है?
* श्री नरेन्द्र मोदीजी, खुद से विरुद्ध मत रखनेवाला, चाहे अपने पक्ष का हो या विरोधी पक्ष का,सभी के साथ कठोर और रूखा वाणी व्यवहार करते हैं?
जो लोग, श्री नरेन्द्र मोदीजी को नज़दीक से जानने का दावा करते हैं, उनको पता होगा की, श्रीमोदीजी ने, कभी भी अपने मुँह से केन्द्रीय राजनीति में पदार्पण करने के समाचारों का न तो समर्थन किया है, ना कभी उसको पूर्णरुप से नकार दिया है । ज्यादातर ऐसे समय पर उन्होंने चेहरे पर एक सूचक हास्य के साथ, चुप्पी साध ली है । शायद, यही मर्म है की, रात दिन श्रीमोदीजीको ज़बरदस्ती देश के प्रधानमंत्री बनाने पर तूले `सो कॉल्ड` चांपलूसो को, मोदीजी की इस हँसी का जो मतलब निकालना हो, अपने मन से वही निकालें?
विकिलीक्स के लिक किए गए दस्तावेज़ के अनुसार,मि.माइकल ऑवन ने, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं से की गई बातचीत से यह निष्कर्ष निकाला की,श्री नरेन्द्र मोदीजी की अमेरिका द्वारा सतत उपेक्षा और मन का फ़ासला अमेरिका के हित में नहीं है क्योंकि, श्रीमोदीजी जब कभी केन्द्रीय राजनीति में की-पोस्ट पर आरूढ होंगे तब श्रीमोदीजी के साथ खराब संबंध के कारण, अमेरिकी सरकार के साथ संबंधो की समीक्षा के वक़्त, भाजपा पक्ष की नीतियों पर बूरा असर पड सकता है । ऐसे में भाजपा के मजबूत -कदावर नेता के रुप में ही सही, श्रीमोदीजी से अमेरिका के बिगड़े संबंध को फिर से अच्छा बनाकर, मानवाधिकार सहित जो भी मतभेद है उस पर खुले मन से अमेरिका को तुरंत बातचीत करनी चाहिए ।
यह लेख में इतने सारे किए गए खुलासे के बाद, अंत में कुछ बातें बहुत ज्यादा चिंतन के योग्य है ।
* क्या अमेरिका को हमारे देश की आंतरिक नीति निर्धारण में हस्तक्षेप करने देना चाहिए?
* क्या हमको भी कीसी छोटे अविकसित देश की भाँति, अमेरिका की ऐसी दादागीरी और मनमानी सहन करते रहना चाहिए?
* क्या हमारे देश के एक छोटे से राज्य का, मुख्यमंत्री (मोदीजी), जो बात अमेरिका को साफ-साफ शब्दों में कह सकता है, यही बात, हमारे देश की केन्द्र सरकार के सब से बड़े नेता, (प्रधानमंत्रीजी) को अमेरिका से करनी चाहिए थी?
लाफ्टर चैलेंज के कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध स्टेन्ड-अप कॉमेडियन श्रीराजु श्रीवास्तवने एक मज़ेदार कल्पना की थी,
किसी महोल्ले के, कुछ डॉन-भाईलोगने अपने दादागीरी के धंधे में बरकत कम होने की वजह से, सत्संग-प्रवचन का नया धंधा करने का फैसला किया ।
किसी बड़े से हॉल में सत्संग-प्रवचन-आरती का प्रोग्राम आयोजित करके, सब से बड़े डॉन-भाई ने प्रवचन शुरु किया ।
पहले ही प्रवचन में, भाई ने `सीता का अपहरण कंस ने किया था ।` कहकर बहुत बड़ी ग़लती कर दी । इस ग़लती को सुधारने के चक्कर में, कुछ जानकर श्रोताने जब प्रयत्न किया तब, उनको भाई अपनी स्टाईल में कहता है..!!
" सीता को रावण की जगह कंस ले जायैंगा, तो तेरे बाप का क्या जायैं..गा..!! कोई प्यार से अपना धंधा बदल रयेला है तो बीच में, की,कूँ,काँ उंगली करना ज़रुरी है क्या? अय गफ़ूर, ले जा इसको कोप्चेमें और पहिना उसको दो-चार..!!"
श्रीराजु की यही बात, हमारे देश के विकास नीतिओंमें अमेरिकन दखल अंदाज़ी के बारे में फिट कर लें तो, हमारे देश के सब से बड़े भाई (डॉन?) माननीय प्रधानमंत्रीजी को, देश के सारे गफ़ूर को कहकर, भारत के हित के विरुद्ध बोलनेवाले अमेरिका को कोने में ले जाकर दो-चार पहनानें का आदेश सुना देना चाहिए ?
श्री नरेन्द्र मोदीजी के व्यक्तित्व को लेकर, उनके कट्टर विचारों को लेकर, उनके बडबोलेपन को लेकर, या फिर उनकी कार्यप्रणाली को लेकर किसी भी व्यक्ति को मतभेद हो सकते हैं , पर मुझे महसूस होता है की, उन्होंने जिन कठोर भाषा में अमेरिका को आईनेमें उसका असली चेहरा दिखा कर, उसकी औकात बताई है, उसके लिए यही सही वक्त है, क्या आप भी ऐसा मानते हैं?
हम सब भारत के `टैक्स पेयर`मतदार है, अमेरिका द्वारा हमारे देश विरुद्ध जो भी गंदी राजनीति खेली जा रही है , यह हम में से किसी को भी पसंद नहीं है ।
अमेरिका को समझना चाहिए कि, श्री नरेन्द्र मोदीजी सहित सभी भारतवासी मस्तीखोर नहीं है, मगर जब वह अमेरीका के हथकंडों से तंग आकर, सचमुच मस्तीखोरी पर उतर आयेगा तो, पूज्य गांधी बापू जैसा एक ही मस्तीखोर भारतीय, विदेशी सल्तनत को धूल चटाने में सक्षम है..!!
बाय-ध-वॅ,बॉस..;एक देश प्रेमी मतदाता कि हैसियत से आपका का मत है?
मार्कंड दवे । दिनांक - २६-०३-२०११.
http://mktvfilms.blogspot.com/2011/03/blog-post_25.html
==========
स्पष्टता- हाँलांकि,मैं गुजराती कॉलमिस्ट-पत्रकार हूँ, फिर भी यह लेख, मैंने देश के सिर्फ एक आम नागरिक की हैसियत से लिखा है ।
==========
प्यारे दोस्तों,
मैनें कई बार गुजरात के सी.एम.श्रीनरेन्द्र मोदीजीके बारे में, बिहार के सी.एम.श्री नीतिश जी के साथ हुई उनकी बहस के बारे में मेरे विचार व्यक्त किए थे । इसी सिलसिले में आज मुझे एक मित्र ने प्रश्न किया,"क्या आपके गुजरात के सी.एम.श्री मोदीजी, अमेरिका के साथ, आजकल मस्तीखोरी कर रहे है?"
अजीब सा ये सवाल सुनकर मुझे बड़ी हैरानी हुई । मैनें कहा," क्यों दोस्त, ऐसा क्या हुआ?"
जवाब मिला," अख़बार नहीं पढ़ते क्या? यह देखो विकिलीक्स लिकेज की वारदात पर कितना हंगामा मचा है?"
वैसे, मैं अख़बार तो पढ़ता हूँ, लेकिन राजनीति में ज्यादा रूचि न होने के कारण, रोज़ राशि-भविष्य और स्थानीय खबरों को पढ़कर, मैं अपने काम पर लग जाता हूँ । पर आज न जाने क्यों..!! जिस तरह, रामायण में, समुद्र तट पर जाबुंवंतने पवनसूत श्री हनुमानजी को उनके भीतर छिपी हुई, अद्भुत शक्ति का पुनःज्ञान-परिचय करवाया और उनको समुद्र लांधने केलिए प्रोत्साहित किया था । आज उसी तरह मेरे दोस्त ने हमारे सभी देशवासीओं की ओर से मेरे जैसे आम मतदाता की लेखनी की अद्भुत शक्ति को याद करवा कर, मेरे विचार प्रकट करने के लिए मुझे प्रोत्साहित किया है । इसी विषय पर और चिंतन करते हुए अपनी यादों में ही, मैंने, अखबार के कई पन्ने उलट डालें । तुरत मुझे याद आया, यह वही अमेरिका है, जिसने श्रीनरेन्द्र मोदीजी को, हिटलर के रूप में विश्व भर में बदनाम करके अपने देश का विज़ा देने से इनकार किया था ।
अब अचानक ऐसा क्या हो गया..!! धिक्कार-धमकी के स्थान पर, अमेरिका को गुजरात और गुजरात के सी.एम. पर एकाएक प्यार उमड़ आया?
जी हाँ, अमेरिका के कॉन्स्यूलेट जनरल माइकल ऑवन के साथ दिनांक- १६ नवंबर २००६ के दिन गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी की मुलाकात, मोदीजी को अमेरिकन विज़ा न देने का फैसला करने के बाद पहली वार हुई थी । इस मुलाकात के दौरान हुई बातचीत का विवरण मि.माइकल ने अमेरिकी सरकार को भेजा था । हाल ही में, वही दस्तावेज़ को विकिलीक्स द्वारा लिक किया गया था । यह दस्तावेज़ से पता चला है कि, अमेरिका का मोदीजी और गुजरात के बारे में, आजकल कुछ ऐसा मान रहा है कि,
* श्रीनरेन्द्र मोदीजी सर से पाँव तक प्रामाणिक है ।
* श्रीनरेन्द्र मोदीजी के प्रभावशाली नेतृत्व के कारण ही गुजरात विकास के सर्वोच्च शिखर को छू रहा है ।
* श्रीनरेन्द्र मोदीजी दीर्घदृष्टीवाले विकास पुरुष है । वगैरह वगैरह ।
वैसे, बातों-बातों में मिस्टर माइकल ने जब गुजरात के बहुचर्चित दंगों के दौरान हुए मानवाधिकार के हनन का मुद्दा उठाया तब श्रीमोदीजीने, मि.माइकल को बेबाक, साफ-साफ जवाब दिया कि, यह हमारे देश और गुजरात का अंदरूनी मामला है, अमेरिका को इस में बोलने का कोई अधिकार नहीं है । श्रीमोदीजीने मि. माइकल को, यह भी स्पष्ट कर दिया कि,मानव अधिकार हनन के विषय को लेकर अमेरिका खुद पाक़-साफ नहीं है , क्यों की
अमेरिकामें ९/११ ट्वीनटावर्स ध्वस्त की वारदात के बाद भारतीय मूल के-अमेरिकन निवासी शीख समुदाय पर गुज़ारे गए अत्याचार, इराक सहित दूसरे जहाँ-जहाँ पर अमेरिकन सैन्य कार्यवाही हुई, वहाँ के जेल कैदियों पर अमेरिकन सैनिकों द्वारा गुज़ारे गये बर्बर ज़ुल्म का कच्चा चिठ्ठा, आज भी नेट पर वीडियो के रूप में विश्व भर के अहिंसा प्रिय, संवेदनशील लोगों को सन्ताप दे रहा है ।
भारत के अंदरूनी मामलों और नीतियों के बारे में कुछ भी कहने से पहले अमेरिका को चाहिए कि वह खुद अपने मानव अधिकार हनन के मामलों पर दुनिया के सामने सफाई पेश करें और इस बात का यथार्थरूपमें प्रमाण के साथ समर्थन करें,आज के बाद फिर ऐसी वारदातें अमेरिका की ओर से कभी नहीं होगी ।
श्रीनरेन्द्र मोदीजीने यह भी स्पष्ट कर दिया की, भारत के किसी और राज्य की तुलना में गुजरात की सारी प्रजा (जिसमें मुसलमान भी शामिल हैं ।) साधन संपन्न है और राज्य की उन्नति के द्वारा, देश की उन्नति में महत्व का योगदान कर रही है ।
कई बौद्धिकों का यह भी मत है की, श्रीमोदीजी की सुशासन व्यवस्था के कारण ही गुजरात में जहाँ, हर दो-तीन साल के अंतर पर कोमी तनाव भड़क उठता था वहाँ, गोधरा कांड के बाद कोई ऐसी बड़ी वारदात फिर से आजतक नहीं हुई है ।
किसी भी पक्ष के साथ जुड़े, हरएक राजनीतिक को इस विषय में प्रतिक्रिया व्यक्त करने को कहा जाए,तो उनके पक्ष के और निजी स्वार्थ को जोड़कर ही प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे,जो की पूर्वग्रह ग्रसित हो सकती है..!! पर इस विषय में देश प्रेमी मतदाता (आम नागरिक) क्या सोचता है, देश के लिए यही सब से बड़े महत्व की बात है ।
ज्यादातर देशप्रेमी भारतीय मतदाता का यही मत है की, अमेरिका द्वारा, यु.नो.संगठन की नीतियों के ख़िलाफ जाकर, समग्र विश्व में, अपने किसी भी विशेष अधिकार के बिना खुलेआम, कमज़ोर आर्थिक विकास करनेवाले छोटे-छोटे देश में, जिस तरह उनके अंदरूनी मामलो में दख़लअन्दाज़ी करके मानव अधिकारों का ग़लत इस्तमाल किया है ,इसे देखते हुए भारत की कोई भी नीति को प्रभावित करने वाली, कीसी भी अमेरिकन गंदी चाल के सामने अमेरिका को साफ-साफ शब्दोमें उसकी औकात बताने का समय का तकाज़ा और ज़रुरत भी है ।
विकिलीक्स के एडिटर जूलियन असांजे ने, अपनी वेबसाइट द्वारा प्रकाशित,`नोट के बदले-सांसद के वोट` समाचार के अविश्वसनीय होने के, प्रधानमंत्री श्रीमनमोहनसिंध के बयान को सिरे से ख़ारिज कर दिया है ।
अब प्रश्न यह है की, श्रीमोदीजी के बारे में अमेरिका का और क्या क्या मानना है?
* श्री नरेन्द्र मोदीजी की सामाजिक और निजी जिंदगी में उत्तर-दक्षिण दिशा का अंतर है?
* श्री नरेन्द्र मोदीजी सार्वजनिक जीवन में बेबाक-बड़बोले-निर्भय और मिलनसार स्वभाव के लगते हैं, मगर अंगत जीवन में वह एकांत प्रिय और किसी भी व्यक्ति पर जल्दी विश्वास न करनेवाले व्यक्ति है ?
* श्री नरेन्द्र मोदीजी अपने कुछ विश्वासु कैबिनेट मंत्री साथी के सहारे ही सारा सरकारी कामकाज देखते हैं ?
* श्री नरेन्द्र मोदीजी, खुद अपने पक्ष के लोगों की सर्वसम्मति से सरकार चलाने के बजाय, भय और धमकीभरा माहौल खड़ा करके शासन चलाते है?
* श्री नरेन्द्र मोदीजी, खुद से विरुद्ध मत रखनेवाला, चाहे अपने पक्ष का हो या विरोधी पक्ष का,सभी के साथ कठोर और रूखा वाणी व्यवहार करते हैं?
जो लोग, श्री नरेन्द्र मोदीजी को नज़दीक से जानने का दावा करते हैं, उनको पता होगा की, श्रीमोदीजी ने, कभी भी अपने मुँह से केन्द्रीय राजनीति में पदार्पण करने के समाचारों का न तो समर्थन किया है, ना कभी उसको पूर्णरुप से नकार दिया है । ज्यादातर ऐसे समय पर उन्होंने चेहरे पर एक सूचक हास्य के साथ, चुप्पी साध ली है । शायद, यही मर्म है की, रात दिन श्रीमोदीजीको ज़बरदस्ती देश के प्रधानमंत्री बनाने पर तूले `सो कॉल्ड` चांपलूसो को, मोदीजी की इस हँसी का जो मतलब निकालना हो, अपने मन से वही निकालें?
विकिलीक्स के लिक किए गए दस्तावेज़ के अनुसार,मि.माइकल ऑवन ने, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं से की गई बातचीत से यह निष्कर्ष निकाला की,श्री नरेन्द्र मोदीजी की अमेरिका द्वारा सतत उपेक्षा और मन का फ़ासला अमेरिका के हित में नहीं है क्योंकि, श्रीमोदीजी जब कभी केन्द्रीय राजनीति में की-पोस्ट पर आरूढ होंगे तब श्रीमोदीजी के साथ खराब संबंध के कारण, अमेरिकी सरकार के साथ संबंधो की समीक्षा के वक़्त, भाजपा पक्ष की नीतियों पर बूरा असर पड सकता है । ऐसे में भाजपा के मजबूत -कदावर नेता के रुप में ही सही, श्रीमोदीजी से अमेरिका के बिगड़े संबंध को फिर से अच्छा बनाकर, मानवाधिकार सहित जो भी मतभेद है उस पर खुले मन से अमेरिका को तुरंत बातचीत करनी चाहिए ।
यह लेख में इतने सारे किए गए खुलासे के बाद, अंत में कुछ बातें बहुत ज्यादा चिंतन के योग्य है ।
* क्या अमेरिका को हमारे देश की आंतरिक नीति निर्धारण में हस्तक्षेप करने देना चाहिए?
* क्या हमको भी कीसी छोटे अविकसित देश की भाँति, अमेरिका की ऐसी दादागीरी और मनमानी सहन करते रहना चाहिए?
* क्या हमारे देश के एक छोटे से राज्य का, मुख्यमंत्री (मोदीजी), जो बात अमेरिका को साफ-साफ शब्दों में कह सकता है, यही बात, हमारे देश की केन्द्र सरकार के सब से बड़े नेता, (प्रधानमंत्रीजी) को अमेरिका से करनी चाहिए थी?
लाफ्टर चैलेंज के कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध स्टेन्ड-अप कॉमेडियन श्रीराजु श्रीवास्तवने एक मज़ेदार कल्पना की थी,
किसी महोल्ले के, कुछ डॉन-भाईलोगने अपने दादागीरी के धंधे में बरकत कम होने की वजह से, सत्संग-प्रवचन का नया धंधा करने का फैसला किया ।
किसी बड़े से हॉल में सत्संग-प्रवचन-आरती का प्रोग्राम आयोजित करके, सब से बड़े डॉन-भाई ने प्रवचन शुरु किया ।
पहले ही प्रवचन में, भाई ने `सीता का अपहरण कंस ने किया था ।` कहकर बहुत बड़ी ग़लती कर दी । इस ग़लती को सुधारने के चक्कर में, कुछ जानकर श्रोताने जब प्रयत्न किया तब, उनको भाई अपनी स्टाईल में कहता है..!!
" सीता को रावण की जगह कंस ले जायैंगा, तो तेरे बाप का क्या जायैं..गा..!! कोई प्यार से अपना धंधा बदल रयेला है तो बीच में, की,कूँ,काँ उंगली करना ज़रुरी है क्या? अय गफ़ूर, ले जा इसको कोप्चेमें और पहिना उसको दो-चार..!!"
श्रीराजु की यही बात, हमारे देश के विकास नीतिओंमें अमेरिकन दखल अंदाज़ी के बारे में फिट कर लें तो, हमारे देश के सब से बड़े भाई (डॉन?) माननीय प्रधानमंत्रीजी को, देश के सारे गफ़ूर को कहकर, भारत के हित के विरुद्ध बोलनेवाले अमेरिका को कोने में ले जाकर दो-चार पहनानें का आदेश सुना देना चाहिए ?
श्री नरेन्द्र मोदीजी के व्यक्तित्व को लेकर, उनके कट्टर विचारों को लेकर, उनके बडबोलेपन को लेकर, या फिर उनकी कार्यप्रणाली को लेकर किसी भी व्यक्ति को मतभेद हो सकते हैं , पर मुझे महसूस होता है की, उन्होंने जिन कठोर भाषा में अमेरिका को आईनेमें उसका असली चेहरा दिखा कर, उसकी औकात बताई है, उसके लिए यही सही वक्त है, क्या आप भी ऐसा मानते हैं?
हम सब भारत के `टैक्स पेयर`मतदार है, अमेरिका द्वारा हमारे देश विरुद्ध जो भी गंदी राजनीति खेली जा रही है , यह हम में से किसी को भी पसंद नहीं है ।
अमेरिका को समझना चाहिए कि, श्री नरेन्द्र मोदीजी सहित सभी भारतवासी मस्तीखोर नहीं है, मगर जब वह अमेरीका के हथकंडों से तंग आकर, सचमुच मस्तीखोरी पर उतर आयेगा तो, पूज्य गांधी बापू जैसा एक ही मस्तीखोर भारतीय, विदेशी सल्तनत को धूल चटाने में सक्षम है..!!
बाय-ध-वॅ,बॉस..;एक देश प्रेमी मतदाता कि हैसियत से आपका का मत है?
मार्कंड दवे । दिनांक - २६-०३-२०११.
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your valuable comment.