हालांकि यूं तो हर राजनीति कार्यकर्ता अपने दल का ही पक्ष लेता है और उसे मजबूत करने की भी कोशिश करता है, लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है कि एक पार्टी का कार्यकर्ता दूसरे की पार्टी के मजबूत होने पर भी खुश होता है। कुछ ऐसा ही इन दिनों असंतुष्ट कांग्रेसी कार्यकर्ता के साथ हो रहा है। वे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विपक्ष का नेता बनने पर बेहद खुश हैं। जैसे ही वसुंधरा शेरनी की दहाड़ती हैं तो कुछ कांग्रेसियों के दिल आल्हाद से भर जाते हैं। हालांकि यह तथ्य है तो चौंकाने वाला, मगर है सौ फीसदी सच।
असल में कांग्रेस के सत्ता में आने के दो साल बीत चुके हैं, फिर भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा कार्यकर्ताओं को मलाईदार राजनीतिक पदों पर नियुक्त नहीं किया गया है। इससे अनेक कार्यकर्ता बेहद नाराज हैं। वे पार्टी अनुशासन के कारण कुछ बोल नहीं पा रहे, लेकिन अंदर ही अंदर कुड़ रहे हैं। सोचते हैं कि ऐसी पार्टी के लिए काम करने से फायदा ही क्या जो उनकी खैर-खबर न ले। आखिरकार वोट के लिए तो उन्हें ही जनता के बीच जाना पड़ता है। अगर सरकार उन्हें कुछ नहीं देगी तो वे अपने निचले कार्यकर्ताओं को कैसे खुश रखेंगे। उनकी सोच ये भी है कि गहलोत ने दो साल तो खराब कर दिए, अब भी कुछ नहीं मिलेगा तो वे आखिर कितने दिन तक पार्टी के पिदते रहेंगे। कुछ दिन पहले यह असंतोष उभर कर आया भी लेकिन फिर दब गया। अब जबकि वसुंधरा राजे विधानसभा में विपक्ष की नेता दुबारा बनी हैं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अहसास है कि इससे भाजपा मजबूत होगी और गहलोत के लिए परेशानी खड़ी करेगी। सुना तो ये तक है कि वसुंधरा राजे ने भाजपा हाईकमान को यह तक झलकी दिखाई है कि वे कांग्रेस की सत्ता पलट देंगी। इसके पीछे तर्क ये माना जा रहा है कि कांग्रेस के ही अनेक विधायक इस कारण गहलोत से बेहद खफा हैं कि उन्होंने न तो उनको मंत्री पद से नवाजा और न ही उनके कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्ति दी। उन विधायकों पर वसुंधरा डोरे डाल रही हैं। ऐसे में गहलोत परेशानी महसूस कर रहे हैं। वे जानते हैं कि अगर उन्होंने अपने विधायकों व कार्यकर्ताओं को खुश नहीं किया तो वे अंदर ही अंदर वसुंधरा की मदद कर सकते हैं। अत: अब उम्मीद की जा रही है कि जैसे ही विधानसभा सत्र समाप्त होगा, गहलोत नियुक्तियों का पिटारा खोल देंगे। कार्यकर्ताओं को भी उम्मीद है कि वसुंधरा के दबाव में आ कर गहलोत जल्द ही राजनीतिक नियुक्तियां करेंगे।
-गिरधर तेजवानी, अजमेर
असल में कांग्रेस के सत्ता में आने के दो साल बीत चुके हैं, फिर भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा कार्यकर्ताओं को मलाईदार राजनीतिक पदों पर नियुक्त नहीं किया गया है। इससे अनेक कार्यकर्ता बेहद नाराज हैं। वे पार्टी अनुशासन के कारण कुछ बोल नहीं पा रहे, लेकिन अंदर ही अंदर कुड़ रहे हैं। सोचते हैं कि ऐसी पार्टी के लिए काम करने से फायदा ही क्या जो उनकी खैर-खबर न ले। आखिरकार वोट के लिए तो उन्हें ही जनता के बीच जाना पड़ता है। अगर सरकार उन्हें कुछ नहीं देगी तो वे अपने निचले कार्यकर्ताओं को कैसे खुश रखेंगे। उनकी सोच ये भी है कि गहलोत ने दो साल तो खराब कर दिए, अब भी कुछ नहीं मिलेगा तो वे आखिर कितने दिन तक पार्टी के पिदते रहेंगे। कुछ दिन पहले यह असंतोष उभर कर आया भी लेकिन फिर दब गया। अब जबकि वसुंधरा राजे विधानसभा में विपक्ष की नेता दुबारा बनी हैं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अहसास है कि इससे भाजपा मजबूत होगी और गहलोत के लिए परेशानी खड़ी करेगी। सुना तो ये तक है कि वसुंधरा राजे ने भाजपा हाईकमान को यह तक झलकी दिखाई है कि वे कांग्रेस की सत्ता पलट देंगी। इसके पीछे तर्क ये माना जा रहा है कि कांग्रेस के ही अनेक विधायक इस कारण गहलोत से बेहद खफा हैं कि उन्होंने न तो उनको मंत्री पद से नवाजा और न ही उनके कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्ति दी। उन विधायकों पर वसुंधरा डोरे डाल रही हैं। ऐसे में गहलोत परेशानी महसूस कर रहे हैं। वे जानते हैं कि अगर उन्होंने अपने विधायकों व कार्यकर्ताओं को खुश नहीं किया तो वे अंदर ही अंदर वसुंधरा की मदद कर सकते हैं। अत: अब उम्मीद की जा रही है कि जैसे ही विधानसभा सत्र समाप्त होगा, गहलोत नियुक्तियों का पिटारा खोल देंगे। कार्यकर्ताओं को भी उम्मीद है कि वसुंधरा के दबाव में आ कर गहलोत जल्द ही राजनीतिक नियुक्तियां करेंगे।
-गिरधर तेजवानी, अजमेर
1 टिप्पणियाँ:
shi frmaaya haal to yhi he is srkar kaa . akhtar khan akela kota rajsthan
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