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ज़रा गौर फ़रमाए

Written By Hema Nimbekar on सोमवार, 21 मार्च 2011 | 2:29 pm

try, try i am always keep trying
because nothing will be mine if i am crying
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problem, problems, around, surround,
they are always here and there,
but I know they all can be handled
as I always found my friends there
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ज़रा सा ज़िन्दगी को हल्का कर और जी,
प्यार के लम्हों को बड़ा कर और ले चुस्की।
मगर इस तरह बेफिक्र होकर भी न जी,
कि तुझे ख़बर ही न हो और किसी की॥
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कोई नहीं है फिर मेरा दिल क्यों बार बार,
किसी को अपना बनाने को मजबूर करता है।
फिर ना जाने क्यों इस मतलबी दुनिया में,
वो किसी का इतना इंतज़ार करता है॥
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यह दिल की बातें है हर किसी को भाँती है,
हर किसी को.. किसी न किसी की याद दिलाती है।
लिखता कोई है.. कहता कोई है और.. किसी और को बहलाती है,
किसी को भी सुनाओ.. सबको अपनी आप-बीती ही लगने लग जाती है॥
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मेरे आने से भी बागो में बहार ना आई,
अब न जाने क्या होगा।
न जाने कब इन अजनबियों की महफिल में,
हमारा नाम भी दोस्तों में शामिल होगा॥
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अगर मेरे यहाँ होने से अगर कोई बेवजह नाराज़ हो।
तो इससे अच्छा है कि मेरा यहाँ फिर कभी आना ही न हो॥
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कोई तो है यहाँ जो मेरा दोस्त है।
इतनी भीड़ में भी वो देखता सिर्फ़ मुझको है॥
वरना सब यहाँ हैं एक दुसरे में खोने वाले।
किसी न किसी को एक दुसरे के पीछे करने वाले॥
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हम उन में से है जो सागर में नहीं उतरते है।
बस किसी को डूबता देख कर उसकी गहराई को नाप लेते है॥
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हम किसी के लिए नहीं आते,
किसी के लिए नहीं जाते।
बस लोग सामने से गुजर जाते है,
और हम किसी को नज़र नहीं आते॥
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