पिता, एक ऐसा शब्द है,
जो आता माँ के बाद है.
पिता तुम मेरे कर्ता हो,
तुम ही जीवन के धर्ता हो.
तुम्हारे बिना जीवन निर्जीव है,
क्या यह संसार तुम बिन सजीव है?
सभी जगह तुम मेरे छत्र हो,
तुम ही मेरे मन के भाव मात्र हो.
पिता तुम मेरे कर्ता हो,
तुम जीवन के धर्ता हो.
माँ तो जीवन का आरम्भ है,
पर तुम तो आरम्भ से अंत तक हो.
संसार का आरम्भ , तुम ही अन्यत्र हो,
तुम ही संसार का आदि और अंत हो.
मेरी अभिलाषा है यही कि तुम मेरे सदा रहो,
दीया के संग बाती के भांति मेरे साथ सदा रहो.
फूलों की रखवाली करता है जिस तरह माली,
ऐसा पिता पा कर ही बनी मैं सबसे भाग्यशाली.
पिता, एक ऐसा शब्द है,
जो आता माँ के बाद है.
~'~hn~'~
(Written in 9th Std)
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पिता तुम मेरे कर्ता हो,
तुम ही जीवन के धर्ता हो.
तुम्हारे बिना जीवन निर्जीव है,
क्या यह संसार तुम बिन सजीव है?
सभी जगह तुम मेरे छत्र हो,
तुम ही मेरे मन के भाव मात्र हो.
पिता तुम मेरे कर्ता हो,
तुम जीवन के धर्ता हो.
माँ तो जीवन का आरम्भ है,
पर तुम तो आरम्भ से अंत तक हो.
संसार का आरम्भ , तुम ही अन्यत्र हो,
तुम ही संसार का आदि और अंत हो.
मेरी अभिलाषा है यही कि तुम मेरे सदा रहो,
दीया के संग बाती के भांति मेरे साथ सदा रहो.
फूलों की रखवाली करता है जिस तरह माली,
ऐसा पिता पा कर ही बनी मैं सबसे भाग्यशाली.
पिता, एक ऐसा शब्द है,
जो आता माँ के बाद है.
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4 टिप्पणियाँ:
मैं यह महसूस कर रहा हूँ कि मैं आपकी कविताओं का फ़ैन होता जा रहा हूँ ।
वाह पिता के भावो पर बहुत सुन्दर लिखा है आपने।
धन्यवाद अनवर साहब....
बस आप जैसे पाठको की नज़र है....
वर्ना हम तो बस कलम और कागज़ से खेलते भर है.....
"यह तो दिल के लब्ज़ है अपने आप शायरी का रूप ले लेते है।
हम तो बस दिल की कहते है और लोग हमें शायर कह देते है॥"
धन्यवाद वंदना साहिबा...यह जान कर बहुत ख़ुशी हुई की आपको मेरी कविता अच्छी लगी..
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Thanks for your valuable comment.