शब्द नहीं कहने को ,
आत्मा अकुलाई है !
क्या भूलूं क्या याद करूं ,
सब मन की गहराई है !
टूट - टूट कर साँस बढ रही
फिर भी -
आस की डोर
ना , डगमगाई है !
अंत नहीं जीवन का ,
सब बंधन है -
सब बंधन है !
कोमल - कोमल सुख का बंधन ,
तृषित - तृषित दुःख का बंधन ,
पार निकल जाने को ,
आत्मा छटपटाई है !
शब्द नहीं कहने को .............
प्रियंका राठौर
7 टिप्पणियाँ:
मौत एक अटल सच्चाई है और तौहीद सबसे बड़ी दौलत है. यह इंसान को बहुत से जुर्म और पाप से बचाकर उसे जीते जी भी सुकून देती है और मरने के बाद भी राहत देती है. यही वह सच्ची दौलत है जो इंसान के साथ मरने के बाद भी जाती है.
तौहीद और शिर्क
sahi kha anwar ji...
aabhar..
प्रियंका जी ! आपकी ख्वाहिश का अहतराम करने के लिए हम चाहते थे की आप हमारे साझा ब्लॉग्स में भी रौनक अफरोज हों और आपने HBFI पर कमेन्ट करके ईमेल भी दी थी और हमने आपको न्यौता भी था फिर क्या वजह रही किअभी तक हम आपकी शिरकत से महरूम हैं ?
Please join us as soon as possible.
I like your creations.
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/03/mother-urdu-poetry-part-2.html
anwar ji mere mail id pr koyi bhi invitation nahi aaya...may be kuch problem rha ho...if possible aap ek baar fir se link bhej de...thanks
@ प्रियंका जी ! इस बार मैं आपको आपकी भेजी हुई ID पर ही न्योता भेजूंगा लिहाज़ा आप मुझे अपनी ID ईमेल कर दीजिये ,
eshvani@gmail.com
मातम न मना ओ प्यार मेरे, देख अभी मैं जिन्दा हूँ |
रुखसत न हुआ अभी जनाजा मेरा, इंतज़ार है तेरी वफ़ा का मुझे |
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Thanks for your valuable comment.