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कुछ अनकही
अनजानी सी
एक नयी राह पर .......
उन पर इल्जाम लगा बैठी !
फूलों के फेरे में
काँटों में ही
खुद को उलझा बैठी !!
कुछ अनकही
अनजानी सी...........
गलती के
इस नये भंवर में
दिल में शूल चुभा बैठी !
दर्द के इस समन्दर में
खुद को ही डूबा बैठी !!
कुछ अनकही
अनजानी सी
एक नयी राह पर ........!!
प्रियंका राठौर
3 टिप्पणियाँ:
फूलों के फेरे में
काँटों में ही
खुद को उलझा बैठी !
---- aksar hota hai esa
sunder kvita
,backdoor entry-laghu katha
bhtrin rchnaa mubark ho .akhtar khan akela kota rajsthan
मातम न मना ओ प्यार मेरे, देख अभी मैं जिन्दा हूँ |
रुखसत न हुआ अभी जनाजा मेरा, इंतज़ार है तेरी वफ़ा का मुझे |
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