आओ 'होली' जल्दी आओ -जियरा जरा जुड़ाई-
“HOLI CONTEST”
होली आई मेरे भाई बन - ठन के
रंगीली जैसे नारि हो .....
पिया के स्वागत तत्पर बैठी
छप्पन भोग बनाये
गुल - गुलाल हर फूल बटोरे
छन - छन सेज संवारे
घूंघट उठा उठा के ताके
घर आँगन क्षन-क्षन में भागे
हवा बसंती -कोंपल-हरियाली
तन में आग लगाये
खिले हुए हर फूल वो सारे
मुस्काएं -बहुत - चिढ़ाएं
कोयल भी अब कूक-कूक कर
"कारी" - करती जाये
सुबह 'बंडेरी' - 'कागा' बोले
'नथुनी' हिल-हिल जाये
होंठों को फिर फिर चूमि -चूमि के
दिल में आग लगाये
कहे सजन चल पड़े तिहारे
जागे- गोरी 'भाग' रे
आँगन तुलसी खिल-खिल जाये
हरियाली 'पोर' - 'पोर' में छाये
रंग - बिरंगी तितली जैसी
भौंरो को ललचाये
रंग गुलाल से डर-डर मनवा
छुई -मुई हो जाये
पवन सरीखी - पुरवाई सी
गोरी उड़ -उड़ जाये
चूड़ी छनक -छनक 'रंगीली'-
होली याद दिलाये
सराबोर कब मनवा होगा
मोर सरीखा नाचे
पपीहा -पिया -पिया तडपाये
बदरा उडि -उडि गए "कारगिल"
"काश्मीर"-"लद्दाख"
गोरिया विरहा -"रैना" मारी
भटके कोई सागर तीरे
कोई कन्या - कुमारी
बंडवा - नल -'सुख' -'सोख' ले रहा
फूल रहा -कुम्हिलाई
आओ 'होली' जल्दी आओ
कान्हा को लई आओ
सावन के बदरा से बरसो
जियरा जरा जुडाई
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
३०.३.२०११ प्रतापगढ़ उ.प्र .
1 टिप्पणियाँ:
bhavpoorn prastuti.
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