कहाँ छिपा है सत्य पुरातन
कहाँ छिपी है उर्वरता
कहाँ छिपी है कीर्ति सलोनी
कहाँ छिपी है समरसता
किसकी त्वरित आकांक्षाओं में
सत्य राम सा गूंजा था
आह्यालाद की चिंगारी बन
सर्वस अर्पण करता था
मानवता की आहों को सुनकर
मन नहि किसका बहका था
धू धू कर जलते स्वनो को देख
धन धान्य किसे है फलता था
रोता चिल्लाता देश मेरा
अभागों को, नही सुनाई पड़ता है
जिसने देखा सपना उज्जवल नव भारत का
भारत सपूत वह रामदेव , नेताओं को क्यों दुश्मन सा दिखाई पड़ता है ..
http://eksafarjindgika.blogspot.com/
SUCCESS MANTRA
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