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कुंडलिया छंद ----- दिलबाग विर्क

Written By डॉ. दिलबागसिंह विर्क on बुधवार, 2 मार्च 2011 | 5:35 pm

धरा पर घट रहे पेड़ , बढ़ता जन - पसारा
एक बच्चे ,एक पेड़ का , लगाओ तुम नारा .
लगाओ तुम नारा , ताकि बन जाए संतुलन 
सृष्टि होगी सुंदर , खुशहाल होगा जीवन  .
हरा - भरा  संसार  ,  देंखें  देवता  आकर 
कोशिश करना  'विर्क ', उतरे स्वर्ग धरा पर . 

                      * * * * * 
             ----- sahityasurbhi.blogspot.com
        
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