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वक्त के साथ कदम मिलाकर चलते गए जगजीत :गुलजार

Written By Rajkumar on बुधवार, 2 मार्च 2011 | 7:44 pm


यह 70 साल का छोटा सा बच्चा है, जिसका गला आज भी 17 साल के युवा की तरह जवान है। इस आवाज के तिलिस्म के बारे में कुछ भी बोलना गुनाह लगता है और आदमी चाहता है कि इसी में डूब जाये। यह रेशमी आवाज दिल को सहलाती और दिलासा देती है।

 वक्त के साथ कदम मिलाकर चलने पर जोर देते हुए ऑस्कर अवार्ड विजेता गीतकार गुलजार ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने दौर के साथ ही युवा पीढ़ी को समझना बेहद जरूरी है और यही सफलता का सबसे बड़ा राज है।

राजधानी में गजल सम्राट जगजीत सिंह की सालगिरह के दौरान आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने आये गुलजार ने खास मुलाकात में कहा, ‘‘केवल रोजमर्रा की जिंदगी में ही नहीं बल्कि हर विधा से जुड़े व्यक्ति के लिये वक्त के साथ कदम मिलाये रखना बेहद जरूरी है। अपने दौर के साथ ही व्यक्ति को नयी पीढ़ी की रूचि को समझना चाहिए, यही हर सफल कलाकार की सफलता राज है।’’ एस डी बर्मन, मदन मोहन और आर डी बर्मन सरीाखे संगीतकारों के कालजयी गीतों के लेखक गुलजार ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘अब लोग बदल रहे हैं तो स्वाभाविक रूप से गीत और संगीत भी बदलेगा। यह कहना कि केवल 60 और 70 का संगीत सबसे बेहतर था, कतई उचित नहीं हैं। इस वक्त भी ए आर रहमान, शंकर एहसान लॉय और विशाल भारद्वाज जैसे संगीतकार बेहतरीन संगीत दे रहे हैं।’’ फिल्म ‘स्लमडाग मिलेनियर’ के गीत ‘जय हो’ के लिए ऑस्कर अवार्ड और ग्रेमी अवार्ड जीतने वाले गुलजार ने कहा कि इसके अलावा शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में पंडित रविशंकर, उस्ताद जाकिर हुसैन और पंडित बिरजू महाराज जैसे संगीतज्ञों ने हमारी विरासत को पूरी दुनिया में पहुंचाया है।
जगजीत सिंह के बारे में गुलजार ने कहा, ‘‘यह 70 साल का छोटा सा बच्चा है, जिसका गला आज भी 17 साल के युवा की तरह जवान है। इस आवाज के तिलिस्म के बारे में कुछ भी बोलना गुनाह लगता है और आदमी चाहता है कि इसी में डूब जाये। यह रेशमी आवाज दिल को सहलाती और दिलासा देती है।’’ 2004 में पद्मभूषण और उससे पहले 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित गीतकार, फिल्म निर्देशक और निर्माता ने कहा, ‘‘जगजीत सिर्फ गजल तक नहीं समेटा जा सकता बल्कि वह भजन, शबद, शास्त्रीय संगीत को नये तरीके से पेश करने वाले गायक का नाम है। गजल की जानी बूझी तालों को तबले, सारंगी और बासुंरी के साथ तब्दील करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जगजीत की भजन गायिकी में एक अलग ही रस है और उनकी नज़्म एवं गज़ल का अंदाज सबसे अलहदा है। वह एक तराशे हुए हीरे की तरह हैं, जिसके हर रूख में अलग ही तरह का नूर दिखाई देता हैं।’’ 1988 में दूरदर्शन के लिए ‘मिर्जा गालिब’ धारावाहिक का निर्माण करने वाले गुलजार ने कहा, ‘‘मैं कई दफा कह चुका हूं और आज भी कहता हूं कि मुझसे वो गालिब की जिंदगी कभी मुकम्मल नहीं होती, अगर मुझे जगजीत सिंह और नसीरूद्दीन शाह का साथ नहीं मिला होता।’’ गौरतलब है कि ‘मिर्जा गालिब’ में नसीर ने मुख्य भूमिका निभायी थी और इसका संगीत जगजीत सिंह ने दिया था।
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