"मैं एक कली हूँ खिलने दो मुझे....
मैं एक सुगंध हूँ महकने दो मुझे॥ "
मैं एक सुगंध हूँ महकने दो मुझे॥ "
क्यों है यह बंधन क्यों है यह सीमाए,
क्यों है यह उदासी क्यों है इतनी यहाँ पीडाए॥
क्यों आज भी मैं लक्ष्मी होकर पराई हूँ
क्यों आज भी बहु ही रहकर बेटी नही बन पायी हूँ॥
क्यों है यह उदासी क्यों है इतनी यहाँ पीडाए॥
क्यों आज भी मैं लक्ष्मी होकर पराई हूँ
क्यों आज भी बहु ही रहकर बेटी नही बन पायी हूँ॥
"मैं एक रत्न हूँ चमकने दो मुझे....
मैं एक कंगन हूँ खनकने दो मुझे॥ "
आजाद होने को मन था कबसे बेताब..
पाना चाहती थी बस अपना बराबरी का खिताब॥
आजाद होकर भी मैं अभी भी कैद हूँ
साथ चलते हुए भी मैं कितनी पीछे हूँ॥
"मैं एक तार हूँ बजने दो मुझे....
मैं एक जल तरन हूँ चलने दो मुझे॥ "
खुला आसमान है फिर क्यों मुझे उड़ने नहीं है देते..
क्यों पर निकलने से पहले ही मुझे तुम बाँध है देते॥
क्यों हमको माँ ने ही नहीं दिया सहारा
क्यों बाप ने ही कर दिया यूँ पराया॥
क्यों पर निकलने से पहले ही मुझे तुम बाँध है देते॥
क्यों हमको माँ ने ही नहीं दिया सहारा
क्यों बाप ने ही कर दिया यूँ पराया॥
"मैं एक सुंदर परी हूँ उड़ने दो मुझे....
मैं एक बाबुल की चिडी हूँ चहकने दो मुझे॥ "
क्यों नहीं है आज सबके पास मेरे सवालो के जवाब..
क्यों अपना ही हमसफ़र राह में पहन लेता है नकाब॥
जब बात आती है साथ देने की तो क्यों वो गुम हो जाता है
जब बात होती है मुझको समझने की तो क्यों वो मुझे ही समझाता है॥
जब बात होती है मुझको समझने की तो क्यों वो मुझे ही समझाता है॥
"मैं एक रौशनी हूँ फैलने दो मुझे....
मैं एक रंग हूँ रंगने दो मुझे॥ "
हर कन्या को हर कोई माँ दुर्गा कह पूजता जहाँ..
क्यों जन्म देते ही मरती लड़कियां वहां॥
क्यों जन्म देते ही मरती लड़कियां वहां॥
लड़को के अरमानो को है पूरा किया जाता
क्यों लड़कियों को ही है दबाया जाता॥
क्यों लड़कियों को ही है दबाया जाता॥
"मैं एक तितली हूँ बगिया की होने दो मुझे....
मैं एक बरखा हूँ हर तरफ़ बरसने दो मुझे॥ "
मैं एक कोख हूँ पनपने दो मुझे....
मैं एक बीज हूँ अंकुरित होने दो मुझे॥
मैं एक तस्वीर हूँ अस्तित्व्त लेने दो मुझे..
मैं एक मिटटी हूँ कोई रूप लेने दो मुझे॥
मैं एक मिटटी हूँ कोई रूप लेने दो मुझे॥
मैं एक खवाब हूँ पूरा होने दो मुझे...
मैं एक दिल का अरमान हूँ मचलने दो मुझे॥
मैं एक खुशी हूँ खुल कर हसने दो मुझे...
मैं एक लड़की हूँ इस जहाँ में जीने दो मुझे॥
मैं एक लड़की हूँ इस जहाँ में जीने दो मुझे॥
"मैं एक डरी सहमी आखें हूँ देखने दो मुझे....
मैं एक अजन्मी लड़की हूँ इस कोख से जन्म लेने दो मुझे॥ "
~'~hn~'~
Happy Women's Day
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7 टिप्पणियाँ:
bahut sunder shbdon men nari ki vytha ko prkat kiya gya hai
shaandar prastuti ke lie bdhaai
dhanyawaad... dilbag virk ji
sab nariyon ko happy women's day kehna na bhoole..
मैं एक कोख हूँ पनपने दो मुझे....
मैं एक बीज हूँ अंकुरित होने दो मुझे॥
मैं एक तस्वीर हूँ अस्तित्व्त लेने दो मुझे..
मैं एक मिटटी हूँ कोई रूप लेने दो मुझे॥
एक बेहतरीन अभिव्यक्ति।
बेहतरीन रचना।
भावों का सुंदर तरीके से चित्रण।
नारी मन की व्यथा है आपकी रचना में।
शुभकामनाएं
------सुन्दर अभिव्यक्ति....वस्तव में यह व्यवस्था कोई देश, समाज , धर्म , शास्त्र की बनाई नहीं है अपितु कुछ लालची, अधर्मी,ग्यान के अन्ध्कार में भटके कुसंस्कारी लोगों---हम लोगों-- की बनाई हुई है...हमें ही संस्कारित सत्याचरण , उचित ग्यान के द्वारा व लोभ-लालच त्याग कर इसे दूर करना होगा....
---वोमन शुड बी हेप्पी एवरी-डॆ...नोट ओनली दिस डे....
सभी पाठको को मेरे लेख पर टिप्पणी देने और मेरे काम की सहराना करने के लिए धन्यवाद.....
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Thanks for your valuable comment.