लखनवी अंदाज़-ओ-महलत से,
महक आती है,
अदावत का ज़माना है यहाँ,
अदावत यहाँ बिन सीखे ही आती है,
अदब-ओ-हक़ का,
मंज़र यहाँ ज़र्रे-ज़र्रे में है,
आती अदावत की खुशबू
यहाँ ज़र्रे-ज़र्रे में है,
.
महक आती है,
अदावत का ज़माना है यहाँ,
अदावत यहाँ बिन सीखे ही आती है,
अदब-ओ-हक़ का,
मंज़र यहाँ ज़र्रे-ज़र्रे में है,
आती अदावत की खुशबू
यहाँ ज़र्रे-ज़र्रे में है,
.
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your valuable comment.