नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » » मथुरा को फिर एक कंस ने- किया कलंकित

मथुरा को फिर एक कंस ने- किया कलंकित

Written By Surendra shukla" Bhramar"5 on सोमवार, 25 अप्रैल 2011 | 7:58 pm



डाक्टर के पेशे को अपने
ध्वस्त किये बदनाम किया
कहीं अकेली भोली बाला
दर्द लिए अपना जो आई
हे दिव्या तू -ये सुषेन या कंस
है -दानव- अश्वनी  कोई
थोडा भी पहचान न पाई ??

साथ जियेंगे- मुक्त फिरेंगे
लिव इन  ‘रिलेशन को पूजे तू
किस पापी के चंगुल आई !!
माँ भी उसकी पीटे तुझको
माता का ना धरम निभाई !
तीन-तीन पुत्री देवी दे


शादी अब तक नहीं रचाई
उसके दिल स्थान न पाई !

उसे चाहिए पुत्र ही क्यों ??
जो उसे जलाये ??
ऐसे कर्म पे अश्वनी तेरे
दफ़न तुझे करने की खातिर
कितने लाल धरा हैं आये !!

जिन कन्याओं को खोजे हम
पूजें - दुर्गा उन्हें बनायें
अपनी शक्ति -भक्ति से हम
छप्पन भोग उन्हें करवाएं
मदिरा’- नींद की गोली
देकर पीट -पीट तू
बंदी आज है उन्हें बनाये !!



कहें भ्रमर डिग्री तेरी
क्यों आज नहीं वापस ली जाये ?
चौराहे पर उल्टा टाँगे
क्यों ना कान तेरा पकड़ायें ??

हे नारी शक्ति तुम जागो
लिव इन रिलेशनशिप  वालों तुम
होश में आओ !!
इस समाज से जुड़कर देखो
जो कहना है -  तुम्हे निमंत्रण
आकर प्यारे -लिख कर जाओ !!
एक अकेले को जो भाए
उसे नियम ना नीति बनाओ !!
तुम्हे अगर ये  इतना  भाए  
ओखली कोल्हू- निज- सिर डालो !!


सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
२४.४.२०११ जल पी बी 

Share this article :

3 टिप्पणियाँ:

RameshGhildiyal"Dhad" ने कहा…

Bhramar ji ...Badhaiyan...dheron badhaiyaan...Aap ne to sam-samyik mudde par bada sateek aur seedha- seedha likh daala hai...bade hi sadhe shabdon me..punah badhaiyaan...

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

रमेश जी नमस्कार और धन्यवाद -हाँ ये समसामयिक दर्द झेला नहीं जाता न तो इसे उभारकर आप सब से कुछ सहयोग कुछ आह्वान कर ही डालता हूँ शायद हमारे लोग हमारी दुनिया कुछ सोचे कुछ जागृत हो -आइये हमारे ब्लॉग पर भी अपने सुझाव व् समर्थन के साथ
शुक्लभ्रमर ५

shyam gupta ने कहा…

--अच्छा स्टेटमेन्ट है..( कविता नहीं)

----दोष इन लिव-इन रेलेशन्शिप में मज़ा लेने वाली कन्याओं का अधिक है... वे ही ओखली में सिर डालती फ़िरती हैं...ध्यान रहे ..चाहे चाकू खर्बूजे पर गिरे या खरबूजा चाकू पर...कटता खर्बूजा ही है...

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.