खटमल देखो -बढे जा रहे
बड़े प्रभावी
महिमा न्यारी
मोटा इनका पेट
लगे सेठ हैं -या हैं नेता
कोई रोंक न टोंक
खून चूसते उन्हें पिलाते
रक्त बीज सा बढ़ते जाते
रात ही क्या -अब दिन में निकलें
फिरते मूंछे ताने !!
सौ-सौ उनके पीछे घूमें
पकड़ो तो हम जानें
चार दिशाओं में ये भागें
देखो इनकी चाल
अगर रसायन-बम भी डालें
मरते बस दो -चार
ना ट्रैफिक की परवा इनको
ना नस-बंदी मानें
चूस भरे जो बोतल हैं ये
दान दिए बढ़ जाएँ
हमने फिर कुछ सोची युक्ति
पानी खौला कल डालेंगे
रात में सारे छू मंतर थे
कैसे बड़े गुप्तचर निकले
सोच सोच मै पागल होता
कौन बताया कैसे जानूं
कोई दुश्मन बीच हमारे
थाली मेरे खाता -सोता
कहें भ्रमर आओ सब मिल के
चारों दिशा खड़े हो जाओ
हाथ जोड़ लो -घेरा डालो
सौ सौ को तुम मसलो मारो !!
यही अंत है भले तुम्हे ये
बुरा लगे है मन छू जाये
हाथ तुम्हारा सने खून से
कितनी सारी बदबू आये
या फिर इनका
डी एन ए तुम चेंज करा दो
पिछली पीढ़ी को ही इनके
भाई मेरे बदल तू डालो
बचपन ही से प्यार इन्हें तुम
नफरत ना -
पृथ्वी अपनी -अपनी संस्कृति
सभी सिखा दो
कहें भ्रमर खटमल ना इनको
कुछ और बना दो -
सुन्दर सी एक ज्योति धरा दो
कर में इनके
ले मशाल ये भी बढ़ जाएँ
कल को जीतें
मन सब का ये- विश्व विजय
कर- घर तेरे फिर -फिर फिर आवें !!
दुनिया देखे -खटमल - खटमल
कह के फिर ना लोग तेरी
आत्मा को सालें !!!
या फिर आत्मा को हे बंधू
कल का सपना इनका देखे
आज से ही मजबूत बना ले !!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
१६.०४.2011
2 टिप्पणियाँ:
अच्छी व्यंग्य रचना . लेकिन देश का खून चूस रहे बड़े -बड़े खटमलों के बारे में आपका क्या कहना है,जिनकी वजह से भारत में घोटालों की महामारी फ़ैल रही है ?बोफोर्स घोटाला, चारा घोटाला, कॉमन वेल्थ घोटाला,टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाला, आदर्श सोसायटी घोटाला ,
हसन अली का स्विस बैंक घोटाला जैसे कई भयानक घोटाले इन भयंकर खटमलों की ही देन हैं. कोई तो बताए इनका इलाज क्या है ?
प्रिय करुण जी - ठीक सोचा ठीक कहा आप ने ये खटमल जान लेवा बनते जा रहे हैं दिन प्रतिदिन- जो कुछ भी उपाय बन पड़े इन से फैलते महामारी और संक्रमण पर सारे उपाय तुरंत और अपने आस पास करने में सब जुट जाएँ तभी जा के निजात मिल पायेगी आइये सब आगे बढ़ें इस राह पर - धन्यवाद
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
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Thanks for your valuable comment.