बेटे जैसी बेटियां , कब समझोगे आप
करके हत्या भ्रूण की , क्यों करते हो पाप .
क्यों करते हो पाप ,बन बैठे हो कसाई
बहुएँ मिलेंगी नाहिं , ठूंठ से होंगे बेटे .
* * * * *
----- साहित्य सुरभि -----
करके हत्या भ्रूण की , क्यों करते हो पाप .
क्यों करते हो पाप ,बन बैठे हो कसाई
बिन बहना भैया कि , सूनी होगी कलाई .
कहत 'विर्क' कविराय , अगर हम अभी न चेते बहुएँ मिलेंगी नाहिं , ठूंठ से होंगे बेटे .
* * * * *
----- साहित्य सुरभि -----
2 टिप्पणियाँ:
आपने सही कहा है |बिना बहिन भाई अधूरा है |बिना स्त्री पुरुष भी अधूरा है |अच्छी रचना के लिए बधाई
आशा
अच्छी रचना
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your valuable comment.